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खरीफ के मृदा जांच की तैयारी नहीं

जौनपुर। बीमार मिट्टी की सेहत सुधारने का अभियान वैश्विक महामारी की भेंट चढ़ गया है। महामारी के कारण जहां रबी के सीजन में मृदा की जांच नहीं हुई वहीं खरीफ के लिए भी अभी तक कोई तैयारी नहीं है। विभाग के कर्मियों को लक्ष्य व निर्देश का इंतजार है। मिट्टी की जांच प्रभावित होने के किसान अपने हिसाब से उर्वरक डालकर खेती कर रहे हैं। रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध प्रयोग व जैविक खादों के न डालने से खेतों की मिट्टी बीमार हो चली है। इसके चलते कृषि उत्पादन प्रभावित हुआ है। बढ़ती जनसंख्या और घटते उत्पादन से खाद्यान्न संकट उत्पन्न होने का खतरा बढ़ गया है। मिट्टी की दशा को सुधारने के लिए सरकार बृहद अभियान चला रही है। किसानों को मिट्टी की जांच कराकर संस्तुति के अनुसार संतुलित उर्वरकों का उपयोग करने के लिए जागरूक किया जा रहा है। सामान्य नमूनों में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटैशियम की जांच की जाती है तो द्वितीय एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों में सल्फर, जिक, बोरान, आयरन, मैग्नीज और कापर की जांच होती है। अब तक हुए परीक्षण पर गौर करें तो जनपद में मृदा की स्थिति काफी दयनीय है।  रबी सीजन में जनपद के लिए कोई लक्ष्य नहीं आया था। नेशनल मिशन फार सस्टेनेबल योजना के अंतर्गत वाराणसी जनपद के 9067 नमूनों की जांच की जिम्मेदारी कृषि निदेशक लखनऊ से मिली थी। 28 नवंबर से मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं में वाराणसी से आए नमूनों की जांच की गई। इसके अलावा प्रयोगशालाओं में कार्यरत कर्मचारियों ने किसान पाठशाला, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में अपना योगदान दिया। खरीफ में लक्ष्य आने का इंतजार है।

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