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प्रसव पीड़िताओं का प्रसव प्राईवेट अस्पताल में/ चंद रुपयों की खातिर गरीबों का चूसा जा रहा खून

सरकारी एम्बुलेंस ले जाया जाता है प्रसव पीड़िताओं को/ बेलखरनाथ धाम क्षेत्र का सबसे अधिक मामला

पट्टी  I  एक तरफ जहां सरकार ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरी इलाकों में प्रसव के लिए सरकारी अस्पतालों में सैकड़ों योजनाएं चला रही है इसके बावजूद भी आशा बहुओं द्वारा चंद रुपयों की खातिर जिले के ग्रामीण क्षेत्र और शहर मैं स्थित कुकुरमुत्ता की तरह नर्सिंग होम मैं खुश होकर आ कर गरीबों का खून दूसरा जा रहा है सबसे अहम रोल 102 और 108 एंबुलेंस के चालक और पायलट का रहता है क्योंकि नर्सिंग होम द्वारा इन्हें भी कमीशन दिया जाता है 1 वर्ष पूर्व सरकारी अस्पताल के बजाए प्राइवेट अस्पतालों में प्रसव कराने को लेकर अमर उजाला ने प्रमुखता से खबर प्रकाशित की थी कुछ महीनों तक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रसव की भरमार रहती थी लेकिन कोविड-19 के कारण सरकारी अस्पताल जाने के बजाए आशा बहुओं एंबुलेंस द्वारा छोटे-छोटे नर्सिंग होम में प्रसव कराया जाता है। हालात यह है कि 20,000 से लेकर 50000 तक प्रसव पीड़िताओं तीमारदारों से जमकर वसूली की जाती है। नर्सिंग होम में प्रसव से पहले 20 से ₹25000 जमा करा लिया जाता है और बताया जाता है कि जच्चा और बच्चा दोनों खतरे में हैं इतनी रकम लगेगी तभी हम हाथ लगाएंगे अन्यथा आप कहीं और ले जाईए मरता क्या न करता वाली कहावत चरितार्थ होती है लेकिन चंद रुपयों की खातिर मानवता और इंसानियत तार तार हो जा रही है जबकि सरकार की गाइडलाइन और स्वास्थ्य विभाग की गाइडलाइन यह है कि क्षेत्रीय इलाकों में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर पहले जांच के बाद प्रसव कराया जाना चाहिए प्रसव के बाद जच्चा को सुबह नाश्ता दूध ब्रेड के बाद भोजन की व्यवस्था सरकार द्वारा की गई है इसके बावजूद भी प्राइवेट अस्पतालों में प्रसव पीड़िताओं को भर्ती कराकर अस्पतालों द्वारा कमीशन दे कर जमकर वसूली हो रही है।₹25000 में 5000 से लेकर 7000 तक आशा बहुओं को कमीशन मिलता है 1000 से 2000 तक के रुपए 102 और 108 एंबुलेंस के चालक और पायलट को बड़ी आसानी से मिल जाता है रात में यह खेला बखूबी फल फूल रहा है प्रसव पीड़िताओं के तीमारदारों को दहशत पैदा करते हुए उन्हें मजबूरन बिना अनुभव के महिला डॉक्टरों से प्रसव कराया जा रहा है। बेलखरनाथ धाम से सबसे अधिक मामले प्रसव नाम पर जमकर धांधली हो रही है स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी आशाओं के कृत्य से अनभिज्ञ हैं प्राइवेट अस्पतालों में प्रसव के बाद सरकारी लाभ भी बड़ी आसानी से जननी सुरक्षा मातृत्व लाभ योजना जैसी योजनाओं में आशाओं द्वारा बड़ा खेल हो रहा है। इस संबंध में अधीक्षक डॉक्टर आरिफ हुसैन ब्लाक कार्यक्रम प्रबंधक लोकेश श्रीवास्तव से बात की गई उन्होंने बताया कि इस तरह के कई मामले आशाओं द्वारा मिले हैं जांच कराई जा रही है जिन आशाओं के माध्यम से प्राइवेट अस्पतालों में गरीबों का प्रसव कराया जा रहा है सत्यता मिलने पर उनकी सेवा समाप्ति कर दी जाएगी।

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