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कोरोना के आपदा को अवसर में बदल रहा है आयुष शर्मा

 सुलतानपुर। इस बार कोरोना महामारी की विभीषिका में हर कोई भयभीत सा हैं और किसी तरह से घर में खाकर सो रहा है या फिर इधर-उधर समय व्यतीत कर रहा है। ऐसे में शहर का एक युवक गाँव में जाकर आपदा को अवसर मानकर बच्चो को पढ़ा रहा है और कुछ फैशन की कलाओं से  पारंगत करने में लगा है।  सुलतानपुर नगर के विवेकानंद नगर निवासी राजनारायण शर्मा, आचार्य सरस्वती विद्या मंदिर विवेकानंद नगर सुलतानपुर का 21 वर्षीय बड़ा पुत्र आयूष शर्मा शहर में ही पला बढा, गांव के वातावरण से अनभिज्ञ रहा, जिसका पठन-पाठन कक्षा पंचम  तक सरस्वती शिशुमंदिर, इंटरमीडिएट सरस्वती विद्या मंदिर सुलतानपुर विज्ञान वर्ग से रहा। 2018-19 में उच्च शिक्षा लखनऊ विश्वविद्यालय में फाइन आर्ट में 1 वर्ष पढ़ने के बाद , एक वर्ष एफडीडीआई में चयनित होकर चेन्नई में फैशन डिजाइनिंग की पढाई कर रहा है। किन्तु 1 वर्ष से इस कोरोना काल में लगातार सुलतानपुर शहरी वातावरण में रह कर ऊब गया और अपने पैतृक गांव की ओर प्रस्थान कर दिया।  पिछले करीब एक पखवारे से वह परिवार व नजदीकियों से दूर गाँव में रह रहा हैं। वह कहता है कि अपने गांव में जीवन और जीविका दोनों को बचाना है। इस उद्देश्य से अपने गांव संड़िला जनपद व तहसील अमेठी में इन दिनों छोटे-छोटे बच्चों को एकत्रित कर उन्हें रुचि पूर्वक खेल और हँसी के साथ पढ़ा रहा हैं। इसे अलावा उनके अंदर कला विकसित करने का कार्य भी कर रहा है। मिट्टी से बने अक्षर आदि सामाग्रिया निर्माण सिखा रहा हैं। गाँव में पशु और पक्षियों से भी नाता जोड़ लिया हैं। गौवंश व कुत्ते सब शाम दरवाजे पर कुछ पाने को दस्तक देते हैं। चिड़ियों के लिए घोसला व पानी दाना की भी व्यवस्था की हैं। इससे बचे समय में अपनी भी पढाई कर रहा है। और उन्हीं के साथ खेलना मनोरंजन करना आदि कार्य सम्पादित कर रहा है। उसका कहना है कि हम शहर की घुटन भरी जिंदगी से दूर गाँव में अपना और दुसरो का जीवन व जीविका दोनो बचाने का प्रयास कर रहा हूँ।
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