रमजान महीने की राते होती है पाक
प्रतापगढ़ (ब्यूरो)। रमजान महीने की आखिरी दस दिनो की ताक रातो को बहुत अजमत की रात मानी गई है। क्योकि हुजूर सल्लाहु अलैह वसल्लम ने फरमाया है कि सबेकद्र की रात रमजानुल मुबारक के आखिरी असरा के ताक रातो में है। हुजूर सल्ल अलैह वसल्लम ने फरमाया है कि जब सबेकद्र आती है तो इस मुबारक रात को बनीयते सवाब इमान के साथ इबादत करने से तमाम गुनाह बख्श दिए जाते है। आगे फरमाया है कि मेरी उम्मत में से जो मर्द या औरत यह इच्छा करे कि उसकी कब्र दूर की रोशनी से मुनव्वर हो तो उसे चाहिए कि माह रमजान की सबकद्रो में कसरत के साथ इबादत एलाही करे ताकि उन मुबारक रातो की इबादत से अल्लाह पाक उसके नामे अमाल से बुराइया मिटाकर नेकियो का सवाब फरमाये। अभिप्राय यह है कि रमजान के महीने की इन पांच रातो का सवाब बेइन्तहा है। साथ ही इन्ही पांच रातो में जागकर इबादत करने वालो के सारे गुनाह माफ किए जाते है। चांदतारा मस्जिद के मौलाना मो. इस्तियाक ने इन रातो के बारे में बताया कि यही वह मुबारक राते है। जिसमें एक रात की इबादत हजार महीने की इबादत से अफजल है। मौलाना मो. इस्तियाक ने सबेकदर रात के बारे में बताया कि हुजूर सल्लाह अलैह वसल्लम ने फरमाया है कि सबेकदर की अलामत यह है कि वह मुबारक रात खुली हुई, रोशन और बिल्कुल साफ होती है। इस रात मंे न ज्यादा सर्दी बल्कि यह रात मोतदिल होती है। इसमें चांद खुला हुआ होता है। इस पूरी रात को आसमान में सयातीन को सितारे नहीं मारे जाते। मजी निशानियों में से यह भी है कि इस रात के गुजरने के बाद जो सुबह आती है। उसमें सूरज और सुआउ के डलूह होता है और ऐसा होता है जैसे चैदहवी का चांद।