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देश में पहली बार मृतक के अंतिम संस्कार के लिए करनी पड़ रही सिफारिस: प्रमोद

भाजपा सरकार के भूल की कीमत अपनी जान देकर चुका रही जनता

प्रतापगढ़ (ब्यूरो)। केन्द्रीय कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य तथा आउट रीच एण्ड कोआर्डिनेशन कमेटी, उ.प्र. के प्रभारी प्रमोद तिवारी ने कहा कि मेरे 4 दशक से अधिक के राजनैतिक एवं सामाजिक जीवन में आज ऐसा वक्त आया है कि जब कोरोना पीड़ितो के निधन के बाद उनके अंतिम संस्कार में लूट से बचाने के लिए और सूर्यास्त से पहले शीघ्र अंतिम संस्कार के लिए सिफारिश करने के अनुरोध आ रहे है। हिन्दुओ में सूर्यास्त के बाद हर जगह अंतिम संस्कार नहीं होता है। भाजपा सरकार यह कैसा भयावह दौर लायी है? जब मृतक के परिजनो को अंतिम संस्कार के लिए वाहन हेतु 10-15 हजार रूपए अतिरिक्त चुकाने पड़ रहे है। श्री तिवारी ने कहा कि बाजारो और अस्पतालो में रेमडेसिविर का इंजेक्शन ब्लैक में बिक रहा है। आक्सीजन के अभाव में मरीज दम तोड़ रहे है। कोरोना पीड़ितो के परिजनों के मिन्नते करने और गिड़गिड़ाने पर उन्हे आक्सीजन मिल रही है। राजनीति से उपर उठकर मेरे मन मे एक सवाल उठता है कि मै पूंछू प्रधानमंत्री से कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की हिदायत और यूरोप तथाा अमेरिका में कोरोना की दूसरी लहर की भयावहता को देखते हुए कांग्रेस नेताओ के बार बार चेतावनी के बाद भी आपने नौ हजार मीट्रिक टक आक्सीजन बेचने की इजाजत पूंजीपतियो की तिजोरी भरने के लिए क्यो दे दी? न्यायालय ने ठीक ही कहा है कि ये मौते नहीं हत्याये है। पश्चिम बंगाल, बिहार के चुनाव इतने जरूरी थे कि लाशो के अम्बार लग जाये। उ.प्र. में पंचायत चुनाव इतने आवश्यक थे कि शमशाम घाटो पर अंतिम संस्कार के लिए टोकन लेना पड़े कब्रिस्तान भर जाये। श्री तिवारी ने कहा कि पहले तो प्रधानमंत्री ने अपनी तस्वीर चमकाने के लिए बांग्ला देश तथा दूसरे देश को वैक्सीन और दवाये खैरात में बांटी और देश हित की जगह अपनी छवि तथा भाजपा का हित सर्वोपरि रखा। श्री तिवारी ने कहा कि एक बार फिर अपना अनुरोध दोहरा रहा हूं कि संयम बनाये रखे और किसी भी हालात में कोरोना योद्धाओ तथा मेडिकल स्टाफ को हिंसा का निशाना न बनाये। स्थानीय प्रशासन से न उलझे। इस बलण्डर की यदि किसी की जिम्मेदारी है तो वह केन्द्र सरकार और प्रदेश सरकार की है जिनके भूल की कीमत लाखों लोगो को अपनी जान देकर चुकानी पड़ रही है। गरीब मध्यम वर्ग, बेरोजगार, छोटे दुकानदार/पटरी दुकानदार, रेहड़ी लगाने वाले, ठेला लगाने वाले, रिक्शा वाले आदि के खाते में न्याय योजना के तहत सम्मान राशि के रूप में 7500 रूपये दिया जाय, जिससे वे तथा उनका परिवार जिन्दा रहे और उन्हे जीविकोपार्जन के लिए घर से बाहर न जाना पड़े। यह राशि उसी फण्ड से दी जाय जिस फण्ड से पूंजीपतियो के लाखो करोड़ रूपए माफ कर दिए है।

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