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आदि शक्ति के कालरात्रि स्वरूप का किया पूजन

काल की नाशक है भवानी, भक्तो ने की कल्याण की कामना

प्रतापगढ़ (ब्यूरो)। वासंतिक नवरात्र के सातवे दिन मां आदि शक्ति के कालरात्रि स्वरूप का पूजन अर्चन पूरी श्रद्धा के साथ किया गया। भक्तो ने मां का पूजन अर्चन करके कल्याण की कामना की। लोगो ने घरो में जहां पूजन अर्चन किया। वही देवी मंदिरो में भी पहुंचे। वहां पर कोरोना संक्रमण से बचाव के नियमो का पालन करते हुए पूजन अर्चन किया। नगर के बेल्हा देवी मंदिर में आज सोमवार का दिन होने के बावजूद कोरोना संक्रमण के कारण उतनी भीड़ नही रही। फिर भी तमाम भक्त कोरोना का खतरा होने के बावजूद मंदिर में मत्था टेकने पहुंचे। लोग सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन करते हुए कतार में खड़े होकर अपनी बारी आने का इंतजार करते रहें भक्तो ने मां को प्रसाद भी चढ़ाया। इसी तरह रानीगंज तहसील क्षेत्र स्थित मां बाराही देवी धाम, सण्डवा चन्द्रिका स्थित मां चन्द्रिकन धाम समेत अन्य देवी मंदिरो में भी भक्तो के आने का क्रम जारी रहा। तमाम लोगो ने घरो में ही विधि विधान के साथ मां के काल रात्रि स्वरूप का पूजन अर्चन करके कल्याण की कामना की। मां के कालरात्रि स्वरूप का पूजन नवरात्र में सातवे दिन होता है। इनके स्वरूप के बारे में दुर्गा कवच में विस्तार के साथ वर्णन मिलता है। इनकी उपासना करने से भक्तो के सभी दुख व संताप नष्ट हो जाते है। यह दुश्मनो का विनाश करती है तथा मनोवांछित फल प्रदान करके उपासक को संतुष्ट करती है। धर्म के जानकारो का कहना है कि माता कालरात्रि की आराधना आतो की रक्षा के लिए की जाती है। आंत मे सभी प्रकार की बीमारियां होती है। आत से ही शुद्धता प्राप्त होती है। यदि आंत शुद्ध रहेगी तो किसी के अंदर कोई बीमारी नहीं होगी। मां कालरात्रि का रूप बड़ा ही विकराल तथा हृदय करूणामय है। यह काल का नाश करने वाली है। इसीलिए इन्हे काल रात्रि कहा जाता है। दुर्गा सप्तशती के सातवे और दसवे अध्याय का पाठ करके मां को गुड़ का भोग अर्पण करने से हर कार्य में विजय प्राप्त होती है। मां का पूजन करने के लिए भक्त सुबह से ही मंदिरो में पहुंचने लगे। कोरोना संक्रमण का खतरा होने के कारण इस बार मंदिरो में बहुत कम ही भक्त पहुंचे। अधिकांश लोगो ने घरो में ही पूजन अर्चन किया।

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