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पंचायत चुनाव: मतदाताओं को लुभाने में जुटे उम्मीदवार परदेशियों की भी सता रही याद

प्रतापगढ़ (ब्यूरो)। पंचायत चुनाव का नामांकन एवं चुनाव चिन्ह मिलने के साथ ही मतदाताओं को लुभाने में उम्मीदवार जुट गए है। उन्हे परदेशियों की याद भी सता रही है। जो गैर जनपदो में जाकर बस गए है या रोजी रोजगार के चक्कर में परदेश जाकर काम कर रहे है। ऐसे लोगो से मिलने के लिए प्रत्याशियों में बेचैनी दिखाई दे रही है। हालांकि कोरोना का संक्रमण बढने के कारण परदेशी वापसी भी शुरू कर दिए है। जो किसी कारण से नहीं आ पा रहे है उन्हे बुलाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे है। बताते चले कि पंचायत चुनाव की सरगर्मी बढ़ती जा रही है। प्रत्याशी मतदाताओ से घर घर जाकर सम्पर्क करने में जुट गए है। पद प्रतिष्ठा एवं धन की चाहत में हर प्रत्याशी गांव की सेवा हम करंेगे, गांव का विकास हम करेंगे। चारो ओर कहते नजर आ रहे है। जबकि पिछले पंचवर्षीय के बाद गांव की जनता रोटी खा रही है या फिर जहर, रात अंधेरे में गुजर रही है या प्रकाश में, गलियो में खड़ंजा लगा है या फिर कीचड़ बजबजा रहा है। खेतो का पानी मिल रहा है या फिर फसले सूख रही है। गांव का कौन सा व्यक्ति किस समस्या से जूझ रहा है, किसी को कोई मतलब नहीं रहा है। यहां तक कि जो प्रधान बन गए थे उन्होने भी वोट का ऋण चुकाने का कभी मन नहीं बनाया। पांच साल तक मनरेगा का चित्र बनाने में जुटे रहे। जब चुनाव की पुनः रणभेरी बजी तो अपने स्वार्थवश चुनावी नाव में बैठकर उतरने की सोच रखकर सरकारी धन बटोरने को सोच रहे है। इसलिए एक बार फिर उन्हे गांव की उपेक्षित जनता की याद आ रही है। यही नहीं जो गांव से बाहर परदेश में रहते है। साथ ही गांव के मतदाता है, प्रत्याशी उनकी भी सुधि ले रहे है। वोट पाने के लिए ऐसे परदेशियों से मोबाइल पर मधुर भाषा में बात करते ही है और उन्हे फोन करके गांव आने के लिए बुलावा भी भेज रहे है। प्रत्याशी परदेशियों के लिए आने जाने का खर्च के साथ ही खाने पीने का खर्च भी दे रह है ताकि उनकी जीत सुनिश्चित कर रहे है। उधर कोरोना का संक्रमण लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में परदेशी वहां से वापसी भी शुरू कर दिए है। इस समय चुनावी माहौल होने के कारण उन्हे मुफ्त में आने का अवसर मिल रहा है। साथ ही खाने पीने की सुविधा भी मिल रही है। प्रत्याशियों के मुखार बिन्द पर वर्तमान में जो स्वर निकल रहे है, यदि यह कार्यरूप में बदल जाए तो गांव की तकदी बदल सकती है। मगर ऐसा होता कहां है।

 

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