पितरों की आत्मा शांति के लिए पितृपक्ष मे करे तर्पणः सुमित कृष्ण जी महाराज
लोकमित्र ब्यूरो
खीरी (प्रयागराज)। भारतीय पंचांग के अनुसार हर वर्ष भाद्रपद की पूर्णिमा तिथि और आश्विन माह के कृष्णा पक्ष की प्रतिपदा तक पितृपक्ष रहता है। पितृपक्ष के दौरान पितरों की पूजा और उनकी आत्मा शांति के लिए तर्पण किया जाता है। उक्त बातें प्रसिद्ध भागवत प्रवक्ता श्री सुमित कृष्ण जी महाराज ने दौरान कही। उन्होंने आगे बतलाया की पितृपक्ष के पंद्रह दिनों में पितरों की पूजा तर्पण करने से पितर प्रसन्न होते है तथा उनकी आत्मा को शांति प्रदान होती है। गरुण पुराण में बतलाया गया है कि पितृगण तिथि आने पर वायु रूप में घर के दरवाजे पर दस्तक देते हैं क्योंकि वह अपने स्वजनों से श्रद्धा की इच्छा रखते हैं। जब उनके पुत्र या कोई सगे संबंधी श्राद्ध कर्म करते हैं तो वह तो होकर आशीर्वाद देते हैं। पितरों की प्रसन्नता से दीर्घायु संपत्ति धन विद्या राज्य सुख स्वर्ग तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है। वैदिक परंपरा और हिंदू मान्यताओं के अनुसार पुत्र का पितृत्व तभी सार्थक माना जाता है जब वह अपने जीवित माता पिता की सेवा करें और उनकी मृत्यु के बाद उनकी बरसी पर पितृपक्ष में उनका विधिवत श्राद्ध करें। पितृपक्ष के दौरान बुरांश राज और गया में पिंडदान करने का अलग ही महत्व होता है जिसका अपना एक बड़ा ही महत्व है।