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कृषि संसाधन महंगे होने से किसानो में मायूसी

डीजल पेट्रोल की कीमत बढ़ने से जुताई महंगी
प्रतापगढ़ (ब्यूरो)। जनपद के किसानो का अब परम्परागत खेती बारी से मन उचट रहा है। कृषि संसाधन डीजल, पेट्रोल से लेकर खाद व बीज के दाम काफी महंगे हो गए है। किसान पुश्त दर पुश्त काम करने के बावजूद आज भी उसी स्थिति पर कायम है। कोरोना महामारी ने पूरी तरह त्रस्त कर दिया है। पेट्रोल व डीजल की कीमत बढ़ने के कारण खेत की जुताई व सिचाई भी महंगी हो गई है। ऐसे में किसान अब अपने आगे की पीढ़ी के इस कार्य से दूर रखने का मन बना रहे है। बताते चले कि भारत जैसे कृषि प्रधान देश में अन्य व्यवसाय जहां तेजी से बढ़ रहे है। वही कृषि के प्रति लोगो का रूझान तेजी के साथ घट रहा है। किसानो का कहना है कि पहले की अपेक्षा अब पैदावार लागत की अपेक्षा कम हो रही है। कारण पूंछने पर बताते है कि अब खेती के लिए पर्यावरण अनुकूल नहीं है। अब तो ईट भट्ठो व अन्य तमाम तरह के कारखानों का प्रभाव इस पर खास तौर पर देखा जा सकता है। अब कृषि में प्रयुक्त होने वाले डीजल, खाद, बीज व बिजली की कीमतो में बेतहाशा वृद्धि हो गई है। घाटे को झेल रहे किसान कल की आस में किसी तरह बैंको से कर्ज लेकर कृषि क्षेत्र में स्थापित होने की सोचते है परन्तु घाटे से छुटकारा नहीं पा रहे है। कोरोना महामारी ने जहां किसानो को त्रस्त कर दिया है। वही सरकार डीजल व पेट्रोल के दामो में बेतहाशा बढ़ोत्तरी करके महंगाई ने झोकने का काम किया है। इससे जुताई के साथ ही खेतो की सिचाई भी महंगी हो गई है। आधुनिकता के दौर में मानव ने मशीन से काम करना शुरू कर दिया है। इन मशीनो को संचालित करने में डीजल व पेट्रोल की जरूरत होती है। करीब आधे दशक से डीजल व पेट्रोल के दाम में लगातार वृद्धि हो रही है। कोरोना संकट के साथ ही सरकार ने डीजल व पेट्रोल का दाम काफी बढ़ा दिया है। डीजल व पेट्रोल की कीमत किसानो के जेब पर डाका डाले का काम कर रही है। इस समय किसानो का महत्वपूर्ण समय चल रहा है। हल्की बारिश ने किसानों के लिए खेती का उपयुक्त वातावरण तैयार कर दिया है। अब किसान ने खरीफ की फसल बोने की तैयारी शुरू कर दिया है। इसकी शुरूआत में खेतो की जुताई करता है। डीजल की महंगाई के कारण जुताई भी महंगी हो गई है। उधर बैंको के कर्ज का मूलधन तो दूर ब्याज तक अदा नहीं कर पारहे है। अब तो एक मात्र पूंजी जमीन बिकने के कगार पर पहुंच गई है। कोरोना महामारी ने आर्थिक संकट को बहुत अधिक बढ़ा दिया है। हालत यह है कि किसान बुवाई के समय उस बकायेदारी के कारण धर पकड़ से डरकर इधर उधर छिपता रहता है। इससे बुवाई भी प्रभावित हो रही है।

 

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