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बाजारो में नकली धान के बीजो से सजी दुकाने

किसानो को कम समय में अधिक उत्पादन बताकर ठग रहे किसान

प्रतापगढ़ (ब्यूरो)। कोरोना महामारी के संकट से जहां लोग त्रस्त हो चुके है। वही हर क्षेत्र में लोग अवसर का लाभ उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे है। धान की नर्सरी लगाने से पहले किसानो को भी ठगा जा रहा है। कम समय में अधिक उत्पादन होने का लालच देकर किसानो को उंचे दाम पर नकदी बीज बेचा जा रहा है। शासन की ओर से धान की प्रजापति डीएनए दामिनी की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया गया था। इसके बावजूद दुकानदार उसे चोरी छिपे बेच रहे है। बताते चले कि बीते सप्ताह बारिश हो जाने के कारण किसान धान को बेरन डालने का काम तेजी से करने लगे है। आंशिक कफ्र्यू में भी किसानो की सुविधा के लिए शासन ने कृषि यंत्रो एवं बीजो की दुकाने खोलने की अनुमति दी है। उधर किसानो को ठगने के लिए शहर से लेकर ग्रामीण बाजारो में धान के बीज की दुकाने सज गई है। हाइब्रिड और अच्छी प्रजाति के बीजो को महंगे दामो पर बेचा जा रहा है। हरे, लाल, नीले, पीले रंगो के पैकेट में बिकने वाला धान का बीज खुलेआम बेचा जा रहा है। दुकानो पर पहुंचने वाले किसानो द्वारा कम समय और कम लागत में अच्छी पैदावार वाली प्रजाति का बीज मांगते ही निर्धारित मूल्य से अधिम दाम वसूलने के साथ ही नकली बीज दिया जा रहा है। विभागीय जानकारो की माने तो दुकानदार सामान्य धान को रंग कर तथा रंगीन पैकेटो में भरकर उसे फाउन्डेशन बीज बताकर बेच रहे है। बीते वर्ष भी तमाम किसान इसी प्रकार ठगे गए थे। किसानो की बातो पर गौर करे तो बीते वर्ष धान का महंगा बीज खरीदकर नर्सरी डाला। नर्सरी के बाद धान की रोपाई हुई। पूरे सीजन में आठ बार सिचाई करने के बाद भी धान में बाली नहीं निकली। यह किसी एक या दो किसान की पीड़ा नहीं है। बल्कि ऐसे सैकड़ो किसान है जिन्हे दुकानदार ठग रहे है। जानकारो की माने तो कृषि विभाग के अधिकारियों से सेटिंग के चलते किसानो को ठगा जा रहा है। इसीलिए विभागीय अधिकारी जांच अभियान नहीं चलाते है। हालांकि विभागीय अधिकारी भी स्वीकार करते है कि दुकानो पर गड़बड़ी हो रही है। उन्होने किसानो से कृषि बीज भण्डारो से बीज खरीदने का आहवान करते हुए जांच अभियान चलाने की बात कही है।

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