पांच वर्षीय मासूम विशाल बना अंधे पिता और गूंगी मां का एकमात्र सहारा
अयोध्या। मिल्कीपुर तहसील अंतर्गत विनायकपुर गांव के पूरे पांडेय निवासी सत्यनारायण के परिवार पर कुदरत ने ऐसा कहर ढाया कि हंसने खेलने की उम्र में 5 वर्षीय मासूम विशाल अंधे की लाठी बन गया दोनों आंखों से अंधे पिता और गूंगी मां का एकमात्र सहारा 5 वर्षीय विशाल हैं अपने बाप को लेकर लाठी पकड़ कर रास्ता दिखाते हुए 2 किलोमीटर दूर विनायकपुर गांव से जा कर राशन लाने का काम और पिता के साथ मिलकर ठेला चलाते समय भी विशाल साथ रहकर पिता का मदद करता है। जिससे परिवार का पालन पोषण होता है मां गूंगी है और बाप दोनों आंखों का अंधा है ।पुराना घर गिर चुका है और भाई के पन्नी और त्रिपाल तान कर यह परिवार गुजर बसर करता है इस परिवार के घर में कुछ नहीं है राशन का एक धेला भी नहीं है ऐसा नहीं है कि सत्यनारायण और आशा की जिंदगी ऐसे ही थी ये तो कुदरत का कारनामा कुछ ऐसा हुआ की एक आंख से अंधे सतनारायण की दूसरी आंख 2 वर्ष पहले ही खराब हो गई और उसे दिखाई देना बंद हो गया था 35 वर्षीय सत्यनारायण गुप्ता उनके पीछे उनकी पत्नी 33 वर्षीय आशा थी जो देख तो सकती हैं लेकिन बोल नहीं सकती आशा जन्मजात गूंगी हैं। सरकार द्वारा भले ही दिव्यांग कल्याण की अनेकों योजनाएं चलाई गई हो लेकिन इस परिवार को अब तक किसी भी योजना का लाभ आज तक नहीं मिला है अगर कुछ मिलता है तो बस 10 किलो सरकारी राशन वह भी सरकारी रेट पर तन को ढकने के लिए कपड़े सब्जी दवाई व रोजमर्रा की आवश्यकताओं के लिए यह परिवार भगवान के भरोसे ही रहता है इस परिवार के पास 8 बिस्वा जमीन है जमीन के इस टुकड़े पर खेती और मजदूरी करके सत्यनारायण अपने परिवार का पालन पोषण करता था और पूरा परिवार खुश था लेकिन 2 वर्ष पूर्व एक हादसे में उसकी दूसरी आंख भी चली गई ऐसा भी नहीं है कि आंखों के इलाज के लिए प्रयास नहीं किया लेकिन धन की अधिकता के कारण इलाज नहीं हो सका इस परिवार को सरकारी मदद के नाम पर अब तक कुछ नहीं मिला है समाज सेवा के नाम पर लंबे चौड़े दावे करने वाले समाजसेवियों और जनप्रतिनिधियों की निगाह इस परिवार पर आज तक नहीं गई स्थानीय लोगों से व जिला प्रशासन से इस परिवार के लिए अपील है की आवास एवं इलाज की व्यवस्था हो जाए जिससेे पांच वर्षीय विशाल अपने जीवन को आगे बढा सके।