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पशुओं को चारा पानी में भिगोकर खिलायें

जौनपुर । सूर्य की किरणों से जहां जनमानस बिलबिला रहा है वहीं पशु-पक्षी भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। तापमान अधिक होने के कारण हरे चारे में साइनाइड विषाक्तता का खतरा बढ़ गया है। जिसके सेवन से पशुओं की 10 से 15 मिनट में मौत हो जाएगी। पशु चिकित्सक ने सलाह दिया कि चारे को खूब पानी में भिगोकर खिलाने की सलाह दी गई।  बताया कि ज्वार, हरी खास, चरी, गन्ने के ऊपरी पत्तियों में तापमान अधिक होने, सूखा, कुचलने, मुरझाने आदि कारणों से पौधे की वृद्धि रुकने पर साइनाइड की मात्रा बढ़ जाती है। इस चारे के सेवन से पशु का दम घुटने लगता है और श्वांस रुक जाती है और 15 मिनट में दम तोड़ देता है। इसी प्रकार नाइट्रेट विषाक्तता नाइट्रेटयुक्त चारों के खाने से होती है। नाइट्रेट तथा नाइट्राइट आपस में विष हैं जो पशुओं के शरीर में मेटाहीमोग्लोबिन रक्तता उत्पन्न कर उनके मृत्यु का कारण बनते हैं। जौ, सूडान घास, आजन घास, ज्वार, चरी, गन्ने का अगोला तथा राई घास में नाइट्रेट नामक विष की अधिक मात्रा होती है और उसे खाने से गाय, भैंस, बकरी व भेंड़ इसकी चपेट में आ जाते हैं।  चारे को काटकर साइलेज बनाने तथा उसे दो घंटे हवा में रखने से विष की मात्रा कम हो जाती है।   सलाह दिया कि भूखे जानवर को भर पेट इस चारे को नहीं खिलाना चाहिए। विषाक्तता का लक्षण दिखते ही तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। चिकित्सक के आने तक विष की तीव्रता को रोकने के लिए पशु को खनिज तेल या चिकने पदार्थ देने चाहिए।

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