शोषण विहीन समाज के समर्थक थे कार्ल माक्र्स हेमन्त नन्दन ओझा वामपंथियों ने मनाई कार्ल माक्र्स की जयन्ती
प्रतापगढ़। साम्यवादी दर्शन के प्रणेता कम्युनिस्ट घोषणापत्र के लेखक कार्ल मार्क्स की 203 वीं जयंती पर एक कार्यक्रम का आयोजन बलीपुर स्थित कार्यालय पर किया गया इस अवसर पर कार्ल मार्क्स के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। कार्यक्रम में एक संगोष्ठी कामरेड राजमणि पांडे की अध्यक्षता में आयोजित हुई गोष्ठी को संबोधित करते हुए मजदूर नेता हेमंत नंदन ओझा ने कहा कि कार्ल मार्क्स का जन्म 5 मई 1818 में हुआ था और उनकी मृत्यु 64 वर्ष की अवस्था में 14 मार्च 1883 में हुई थी । कार्ल मार्क्स का जन्म जर्मनी में हुआ था और बाद में उन्हें इंग्लैंड आना पड़ा इंग्लैंड में उन्हें एंजेल्स का साथ मिला जहां पर उन्होंने कम्युनिस्ट घोषणापत्र लिखा जो 1847 में प्रकाशित हुआ कार्ल मार्क्स का जन्म एक यहूदी परिवार में हुआ था कार्ल मार्क्स के बचपन में ही उनके परिवार ने ईसाई धर्म को स्वीकार कर लिया बाद में कार्ल मार्क्स ने ईसाई धर्म का भी त्याग कर दिया और मान्य नास्तिक हो गए उन्होंने दुनिया को शोषण विहीन समतामूलक साम्यवादी समाज की व्यवस्था का सपना दिखाया कार्ल मार्क्स को दुनिया के हर देश में हर भाषा में पढ़ा व लिखा गया है । शोषण के विरुद्ध दुनिया भर में काम करने वाले लोगों के लिए कार्ल मार्क्स एक आदर्श व प्रेरणा के स्रोत है। दुनिया भर में कई देशों में मार्क्सवादी सोच पर क्रांतियां हुई और सामाजिक परिवर्तन हुए। दुनिया के विकसित पूंजीवादी देश अपनी सामाजिक व्यवस्था को बचाने के लिए साम्यवादी गुणों को अपना रहे हैं किंतु वास्तव में वे दुनिया भर में शोषण वादी व्यवस्था के पोषक है मार्क्स के दिए दर्शन जब तक दुनिया में शोषण रहेगा तब तक प्रसांगिक है और अंततः शोषण मुक्त व्यवस्था पूरे विश्व में स्थापित होगी। जब धर्म जाति लिंग भाषा रंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होगा किसी को ऊंचा नीचा नहीं समझा जाएगा और सबसे अधिक महत्ता श्रम की होगी। गोष्ठी को संबोधित करते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के जिला मंत्री रामबरन सिंह ने कहा कि विश्व के सभी देशों में साम्यवादी विचारधारा के मानने वाले लोग हैं और उनके संगठन और पार्टियां हैं एक न एक दिन पूंजीवाद के सारे छल छद्म को मेहनतकश जनता समझेगी और संगठित होकर परिवर्तन मे भागीदार होगी। गोष्ठी में आलोक कुमार, सुरेश शर्मा, मनोज कुमार आदि उपस्थित थे अध्यक्षीय उद्बोधन कामरेड राजमणि पांडे ने किया।