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संक्रमित मरीजों के देखभाल में लापरवाही सड़कों पर नहीं हो रहा सेनेटाइजेशन

जौनपुर। कोराना संक्रमण सुरसा के मुंह की तरह बढ़ता जा रहा है और जनमानस चिन्तित है लेकिन प्रशासन द्वारा बचाव और राहत के कार्यो में उस हिसाब से प्रगति नहीं देखी जा रही है। पीड़ित मरीजों को अस्पतालों में आक्सीजन नहीं मिल पा रही है मिल भी इरही है तो उसे तरीके से संचालित करने वाले टेक्नीशिन की कमी है। एक अस्पताल में कुछ मरीजों ने बताया कि आक्सीजन तो लगा दिया जा रहा है लेकिन वह मरीज के शरीर में  सही मात्रा में प्रवेश कर रहा है और उसे कुछ राहत मिल रहा है इसमें भी संदेह जताया गया। संक्रमित मरीजों  उचित देखभाल न होने का भी आरोप लगाया जा रहा है। व्यवस्था का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि एक पत्रकार की तबियत खराब हुई तो उसे उचित इलाज मिल सके इसके लिए पत्रकारों को नाकों चने चबाना पड़ा। अधिकारियों को 100 बार से अधिक फोन करने पर उसे उचित वार्ड में भर्ती कराया जा सका जहां सन्तोष जनक देखभाल हो रही है। अब सामान्य लोगों का इलाज किस प्रकार से हो रहा होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। आलम यह है कि सेनेटाइजेशन के नाम पर चन्द सरकारी भवनों को छोड़कर कई भी संक्रमण को कम करने वाले दवा का छिड़काव नहीं कराया जा रहा है। जिन इलाकों में अधिक कारोना के पेशेण्ट है वहां भी सेनेटाइजेशन नहीं कराया गया। शहर की सड़कों गलियों को भी अभी तक इससे अछूता रखा गया है। लोगों का कहना है कि पूर्व वर्ष में जब कोरोना का कहर था तब सड़कों पर दवा का छिड़काव कराया गया था लेकिन इस बार मुश्किल से अस्पतालों में तथा सरकारी भवनों के आस पास ही प्रशासन छिड़काव करा रहा है। कहने को तो तमाम अस्पताल अधिग्रहित कर दिये गये है लेकिन वहां व्यवस्था राम भरोसे ही है। लोगों का कहना है कि सैकड़ों अस्पतालों और हजारों बेड की व्यवस्था भले कर लिया जाय लेकिन जब तक मानवतावादी तरीके से उनकी देखभाल तथा पैरामडिकल और जानकार स्टाफ द्वारा मरीजों का देखभाल नहीं कराया जायेगा तब तक चिकित्सा सुविधा का वास्तविक लाभ मिलना संभव नहीं है।

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