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डा0 सुधान्शु उपाध्याय ने भी अपने अंदाज में गजल पढ़कर वाहवाही लूटा स्व0 राम सेवक शुक्ल की स्मृति में सरस काव्य गोष्ठी सम्पन्न

प्रतापगढ़। सम्बर्धन संस्था द्वारा आयोजित सरस काव्य गोष्ठी का आयोजन मीरा भवन स्थित प्रेम शंकर शुक्ल के आवास पर वरेण्य एवं मनीषी साहित्यकार स्मृति शेष पं राम सेवक शुक्ल की स्मृति में सम्पन्न हुआ। अध्यक्षता डा संगम लाल त्रिपाठी भंवर एवं संचालन प्रसिद्ध गीतकार सुनील प्रभाकर ने किया।
सर्व प्रथम माँ भारती एवं पंडित राम सेवक शुक्ल की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। तत्पश्चात सम्बर्धन संस्था के संस्थापक डॉ श्याम जी द्वारा  पूज्य पिता की पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में आये हुए कवियों अतिथियों का स्वागत किया गया। इसके बाद वाणी वन्दना वरिष्ठ साहित्यकार सत्येन्द्र मृदुल द्वारा प्रस्तुत की गई। इसके बाद कवयित्री अर्चना सिंह ने पढ़ा कि मैं उड़ना चाहती हूँ मुझे परवाज दो पापा खूब सराही गयी। साहित्यकार शेष नारायण दुबे राही ने अपने गीत एवं व्यंग्य कार राजेश प्रतापगढ़ी ने मुक्तक और व्यंग्य रचना से खूब समा बांधी। सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार डा राजेन्द्र राज  द्वारा व्यंग्य रचना के अलावा पढ़ा गया गीत कहां गये दिन वो गाँव के खूब सराहा गया। मुख्य अतिथि डॉ शाहिदा ने समसामयिक गजलें पढ़कर माहौल को खुशनुमा बनाते हुए वाहवाही बटोरी। संचालन कर रहे सुप्रसिद्ध साहित्यकार सुनील प्रभाकर ने जब गीत पढ़ा तेरे जैसा दिल न देखा तेरे जैसा  रुप रे सुनकर लोगों ने मुक्त कंठ से प्रसंशा की। समापन अतिथि प्रमुख इंओम प्रकाश पाण्डेय गुड्डू ने गाँव की माटी से जुडाघ् सुन्दर गीत पढ़ा तो लोग वाह वाह करने लगे। अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार डा संगम लाल त्रिपाठी भंवर ने मुक्तक के साथ साथ गीत पढ़ा कि आवा आवा कोरोना मचा बाटै शोर खूब मन से सुना गया। इसके अलावा डा श्रद्धा सिंह श्री मती शारदा श्रीवास्तव ओम प्रकाश पंक्षी आदि ने भी अपनी रचनाओं से सराबोर किया। आयोजक डॉ श्याम जी एवं उनके अनुज प्रेम शंकर शुक्ल ने सभी सम्मानित साहित्यकारों को प्रशस्ति पत्र, अंगवस्त्र के साथ माल्यार्पण कर सारस्वत सम्मान प्रदान किया गया। आयोजन में तीर्थ राज जी पूर्व अधिकारी अभियंता जल निगम श्रीवास्तव जी डॉ मनोज मिश्र आदि उपस्थित रहे। आभार प्रेम शंकर शुक्ल ने किया।

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