परोपकार से बड़ा धर्म नही कथा व्यास महाराज अनिल पांडेय
दुर्गागंज प्रतापगढ़ । हर वस्तु की प्राप्ति के साथ वियोग भी है। हर एक समय मनुष्य की भक्ति करना जीवन का मूल उदेश्य होना चाहिए। साँसारिक कार्य करने के बाद पश्चाताप हो सकता है, परंतु ईश्वरीय भक्ति साधना, ध्यान व परोपकार के पश्चात पश्चाताप नहीं आनंद व आत्म संतोष की अनुभूति प्राप्त होती है। उक्त बातें रानीगंज मुआर आधारगंज (ठाकुर बस्ती)के प्रागण में आयोजित सात दिवसीय भागवत कथा के चैथे दिन कथावाचक व्यास महाराज अनिल पांडेय ने कहीं। भागवत कथा के चैथे दिन बुधवार शाम को महाआरती में हजारों श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया। व्यास ने कहा कि अमृत से मीठा अगर कुछ है तो वह भगवान का नाम है। परमात्मा सत्यता के मार्ग पर प्राप्त होते हैं। मन, बुद्धि, इंद्रियों की वासना को समाप्त करना है तो हृदय में परमात्मा की भक्ति का दीप जलाना पड़ेगा। ईश्वर का प्रतिरूप ही परोपकार है। मौके पर आयोजन करती शुषमा सिंह वेवस्थापक कर्ता विमल सिंह,धीरज सिंह,धर्मेंद्र सिंह,धीरू सिंह,राहुल कुमार,राजन तिवारी,रिंकू दूबे, उदयराज सिंह,मुन्ना सिंह सहित अनेक भक्तों की उपस्थिति रही।