Logo

वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिये नये तकनीक की जरूरत डा0 तिवारी संगोष्ठी में बोले राजर्षि टंडन विवि के उप निदेशक

लालगंज,प्रतापगढ़। श्रीमती इंदिरा गांधी राजकीय पीजी कॉलेज के आयोजित राजनैतिक सामाजिक परिप्रेक्ष्य में अनुसंधान विषयक गोष्ठी के छठवें दिन बोलते हुए वक्ताओं ने कहा कि विश्व में उत्तर आधुनिक राजनीतिक व्यवहार में परिवर्तन आ रहे हैं। ऐसे परिवर्तन राजनीति की नई परिभाषा को उन्मुखीकरण कर रहे है। वैसे भी व्यवहारवाद के क्रांति के बाद उत्तर व्यवहारवाद राजनीति में नया परिवर्तन लाकर वैश्विक समायोजन का जो दृष्टि दिया था। उसमें आए हलचल राजनीतिक व्यवस्था में नई रंगत के आलेख लिख रहे हैं। बृहस्पतिवार को राजर्षि टंडन विश्वविद्यालय के उपनिदेशक डॉ त्रिविक्रम तिवारी ने कहा कि व्यवहारवाद में हुई क्रांति उत्तर व्यवहार के सिद्धांत दिया है । व्यवहारवाद ने परंपरागत व्यवहारवाद के प्रति विद्रोह से निकली नई राजनीतिक दिशा धारा तय की है। जिससे  राजनीतिक पृष्ठभूमि से वैश्विक दृष्टिकोण को जन्म दिया था। कहां की आधुनिक राजनीत व्यवस्था में उत्तर व्यवहारवाद के अंदर की स्फूर्ति के विचार से समायोजन के विभिन्न तरीके जन्म ले रहे हैं। ऐसी स्थिति में वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था को वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए नए तकनीक और सिद्धांत गणेश जाने की जरूरत बन चुकी है। कहा कि विश्व में उत्तर व्यवहारवाद के दौर में जो परिदृश्य निर्मित हुआ है। उससे राजनीतिक सामाजिक आर्थिक परिवर्तन में नए उत्तर व्यवहारवाद की अंदर आधारभूत शांति सुरक्षा विकास के मॉडल के सिद्धांत शोध के जरूरत बन चुकी है। विशिष्ट वक्ता चुनार राजकीय महाविद्यालय हिंदी विभाग के डॉक्टर भास्कर द्विवेदी ने कहा कि समय के परिवर्तन ने आधुनिक शोध को जन्म दिया है । राजनीति व साहित्य दोनों दोनों के दूध के तकनीक में परिवर्तन हुआ है। देखा जाए तो नई पीढ़ी गुल्ली डंडे के स्थान पर मोबाइल और तकनीकी खिलौनों की जहां आदि है ।वही राजनीतिक क्षेत्र में सपने का यथार्थ स्वरूप देकर सिद्धांत गढ़े जा रहे हैं। कहा कि राजा भोज के काल की साहित्य और वर्तमान तकनीकी साहित्य दोनों के राजनीतिक परिवेश उपयोगिता आधारित व्यवहार में प्रयोग किए जा रहे हैं। प्रयागराज के राजेश टंडन विश्वविद्यालय के डॉ मनोज कुमार यादव ने कहा कि समय व परिस्थिति की मांग शोध को जन्म देती है बताया कि कोरोनावायरस जैसी महामारी की खोज नई परिस्थिति में किए गए शोध भारतीय चिकित्सा वैज्ञानिकों ने नए सिद्धांत और तकनीक का प्रयोग कर दवा की खोज की। कार्यशाला का संचालन डॉ शिवमंगल सिंह यादव अध्यक्षता प्राचार्य डॉक्टर एस के पांडे संयोजक डॉ गौरव त्रिपाठी रहे। तकनीकी सहायक डॉ रश्मि सिंह कार्य में जुटी रही। इस अवसर पर डॉ केके गिरी डॉ अरविंदडा उपेंद्र सिंह उपाध्याय गिरिजेश शुक्ला, बाल कृष्णा और सुशील कांत सुशील दुबे आदि मौजूद रहे।

फोटो

Leave A Reply

Your email address will not be published.