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सियासत आदमी की लाश का व्यापार करती है …… कलमकार ही देश को देते हैं दिशा प्रमोद तिवारी संचेतना का 53 वां कवि सम्मेलन एवं मुशायरा

प्रतापगढ़। अप्रैल की रात संचेतना के बैनर तले आयोजित 53 में राष्ट्रीय कवि सम्मेलन व मुशायरे में पढ़ी गई गजलों और गीतों के नाम रही। एक ओर जहां कवियों ने श्रोताओं को हंसाया गुदगुदाया वही कवयित्रियों  ने कवियों ने अपनी प्रस्तुतियों से समा बांध दी। उद्घाटन अतिथि के रूप में बोलते हुए पूर्व सांसद राज्यसभा माननीय प्रमोद तिवारी ने कवियों का सम्मान करते हुए कहा कि देश की राजनीति के कदम जब-जब लड़खड़ाते हैं तो ये कलमकार ही देश को दिशा देते हैं । उन्होंने कहा कि जहां मंदिरों की घंटियों और मस्जिदों में अजान का स्वर एक साथ गूंजता हो ऐसे हिंदुस्तान की संप्रभुता को कोई खतरा नहीं हो सकता।  मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए शिव प्रकाश शिव प्रकाश मिश्र सेनानी ने कलाकारों को कलाकारों देश की धरोहर बताया। मीरा तिवारी की वाणी वंदना और डॉ अनुज नागेंद्र की नाते पाक से प्रारंभ हुये इस राष्ट्रीय कवि सम्मेलन ने अपनी बुलंदियों को छुआ। भोर के 4 बजे तक चले इस काव्योत्सव में संचालन की भूमिका अदा की देश के नामचीन शायर और नाजिम नदीम फर्रुख ने। नैनीताल से पधारी देश की मशहूर कवयित्री गौरी मिश्रा का जादू सर चढ़कर बोलता नजर आया। उनकी यह पंक्तियां गुलाबी नोट से ज्यादा गुलाबी गाल कर दूंगी, तुम्हें अपनी मोहब्बत से मैं मालामाल कर दूंगी । बहुत नादान है यह तो यह नैनीताल की गौरी मिले ताली तो बेल्हा को भी नैनीताल कर दूंगी। लोगों को भा गई। कासगंज एटा से पधारे अज्म शाकिरी की शायरी के तो लोग दीवाने होते होते नजर आए। उन्होंने पढ़ा नए मौसमों की खुशबू सरेआम लिख रहे हैं। ये दरख्त पानियों पर तेरा नाम लिख रहे हैं। दिल को छूता नजर आया। देवा शरीफ से आई शाइरा गुले सबा फतेहपुरी की शायरी ने भी लोगों को मुतासिर किया। उन्होंने सुनाया – अब ना गुजरा जमाना याद करो। हाथ मुझसे मिलाना याद करो। प्रयागराज के हास्य कवि बिहारी लाल अंबर ने लोगों को हंसाते हंसाते लोटपोट कर दिया उन्होंने सुनाया कि-हसीनों से कह दो उधर जा कर बैठे, ये अंबर का दिल चारपाई नहीं है। प्रतापगढ़ के युवा शायर डॉ अनुज नागेंद्र की शायरी ने लोगों को सोचने पर मजबूर किया उन्होंने पढ़ा की दवा के नाम पर पहले हमें बीमार करती हैं। सियासत आदमी की लाश का व्यापार करती है। खुशी मिलती है दंगों में इसे जनता के मरने से हमारी हड्डियों से यह मुकुट तैयार करती है। युवा शायर रविंद्र अजनबी ने पढ़ा कि-  मुझको हर्गिज तलाश मत करना, अपने अंदर से चल दिया हूं मैं। वरिष्ठ कवयित्री मीरा तिवारी ने पढ़ा कि गरल पीकर रहे जिंदा यह मेरी जिंदगानी है। चंद्रकांत त्रिपाठी चंद्र ने सुनाया कि दिल पर तेरे ही नाम का पैगाम लिख लूंगा, जब भी लिखूंगा नज्म तेरे नाम लिखूंगा। गजेंद्र सिंह विकट ने चुनावी रंग जमाया उन्होंने पढ़ा- कभी रहमान लगते हैं कभी भगवान लगते हैं। यह नेता देश के मेरे जैसे मेहमान लगते हैं। प्रतापगढ़ की युवा धड़कन अनूप अनुपम ने अपनी धाक यूँ जमाई-उन्होंने सुनाया की डरने से कब मौत रुकी है, कहां रुकी झुक जाने से। आना है जब आ जाएगी एक दिन नए बहाने से। इंजीनियर ओम प्रकाश गुड्डू और कमरुज्जमा की अच्छी शाइरी के  बाद माइक पर देश के लाडले कवि और शायर कुंवर जावेद के आते ही लोगों की नींदें काफूर हो गई। उनकी गीत गंगा में सभी गोते लगाते नजर आए उन्होंने पढ़ा- तुम अगर कीमती हीरा हो तो रातों को मिलो, धूप में कांच के टुकड़े भी चमक जाते हैं। संस्थापक दयाशंकर शुक्ल हेम का नागरिक अभिनंदन किया । उन्होंने अपने काव्य पाठ में सुनाया कि आप बिकें या बीके तिरंगा। देश रहे भूखा या नंगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता अनिल प्रताप त्रिपाठी प्रवात ने किया। कार्यक्रम का समापन भाजपा नेता शिव प्रकाश मिश्र सेनानी ने किया। इस अवसर पर श्रीमती सिंधुजा सेनानी, समाजसेवी अश्विनी सोनी, शिक्षक नेता रामचंद्र सिंह, कांग्रेस महासचिव श्याम किशोर शुक्ल, डॉ. शमीम खान, राकेश कनौजिया, नीरज त्रिपाठी, राकेश सिंह, रोशन लाल उमर वैश्य, सभासद आशुतोष सिंह, डॉ प्रशांत देव शुक्ल, सभासद धर्मशील शुक्ल,  श्याम शंकर द्विवेदी, समाजसेवी संजय शुक्ल, रेहान खान समेत सैकड़ों गणमान्य लोग मंच पर मौजूद रहे। सारी रात राजकीय इंटर कॉलेज का मैदान गीत गजलों की ध्वनियों से गुंजायमान रहा। श्रोताओं ने जमकर आनंद उठाया।

 

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