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धन एकत्र करने का उद्देश्य हो सामाजिक सेवा – स्वामी नरेंद्र बाबा

स्वामी विवेकानंद की जयंती पर लिया सामाजिक उत्थान के लिए अनेकों संकल्प*
मजिस्ट्रेट द्वारा स्वामी विवेकानंद जी की जयंती पर स्वामी जी की उपाधि,* उत्तर प्रदेश रत्न सम्मान समेत अनगिनत सम्मान प्राप्त करने वाले स्वामी नरेंद्र बाबा ने स्वामी विवेकानंद जी की जयंती पर देवी स्वरूपा कन्याओं,माता जी पिता जी का पूजन कर उनके चरण जल से स्नान कर चरण रज का चंदन लगाकर सामाजिक क्रांति लाने का संकल्प लिया। उन्होंने संकल्प लिया कि माता जी पिता जी के चरण जल से जीवन के अंतिम सांस तक स्नान करूंगा।*
माता जी पिता जी के चरण रज का चंदन जीवन में हमेशा मस्तक पर लगाएगें।
उन्होंने कहा कि सभी तीर्थ यात्राएं व्यर्थ हैं यदि संतान के रहते माता पिता असमर्थ हैं।
अतः जीवन के अधिकतम समय माता पिता जी की सेवा करते हुए उनके चरणों में समर्पित करेंगे ।
स्वामी विवेकानंद जी का प्रतीक चिन्ह *पगड़ी सर पर धारणकर उनके पदचिन्हों पर चलते हुए भारत भ्रमण कर* सामाजिक विचारक्रांति के माध्यम से भारत माता को मजबूत करेंगे। आगामी 4 जुलाई स्वामी जी के पुण्यतिथि* से देश के विभिन्न स्थानों पर एक साथ दीप प्रज्वलन कर संकल्प लेते हुए *विचारक्रांति आंदोलनों की शुरुवात होगी। उन्होंने कहा कि आत्मीय उत्थान से ही सामाजिक क्रांति संभव है।*
शक्तिशाली होने का अर्थ यह नहीं कि हम दूसरों को नीचा दिखाने में उसका उपयोग करें,अपितु उसका उपयोग स्वयं के साथ दूसरों की रक्षा करने के लिए होनी चाहिए *। आवश्यकताएं सीमित हैं व इच्छाएं अनंत।*
मानव की आवश्यकता सिर्फ आहार,वस्त्र व भवन है । इसके अतिरिक्त सब इच्छाएं हैं,जिसके लिए हम जीवन भर भटकते हैं इसके बावजूद उसकी पूर्ति नही हो पाती,क्योंकि लालसा बढ़ती जाती हैं।
अतः *धन एकत्र करने का उद्देश्य सामाजिक सेवा होनी चाहिए* जिससे जीवन सार्थक हो सके। दूसरों को पीड़ा पहुंचाकर गलत मार्ग से एकत्र किए गए धन से पारिवारिक सुख शांति नही मिल सकती। स्वयं नेक इंसान बनकर ही लोगों को नेक इंसान बनने की शिक्षा दी जा सकती है।
सामाजिक मजबूती के लिए शिक्षा के साथ संस्कार, सुचरित्रता का संगम होना आवश्यक है।

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