Logo

त्रिस्पर्शा एकादशी के व्रत से मिटते हैं सभी पाप – धर्माचार्य ओम प्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास

प्रतापगढ़। रामानुज आश्रम में मोहिनी एकादशी धूमधाम से मनाई गई प्रातः काल शालिग्राम भगवान का दूध दही घी मधु शक्कर तथा गंगाजल से अभिषेक किया। पूजन अर्चन के पश्चात धर्माचार्य ओम प्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास ने कहा कि धर्मराज युधिष्ठिर के पूछने पर भगवान श्री कृष्ण ने कहा था कि पूर्व काल में यही प्रश्न वशिष्ठ जी से भगवान श्रीराम ने किया था। वशिष्ठ जी ने कहा कि हे राम तुम्हारा नाम लेने से ही मनुष्य सब पापों से शुद्ध हो जाता है किंतु मोहिनी एकादशी का व्रत करने से उसे इस संसार के पाप समूह से छुटकारा प्राप्त हो जाता है। आज संयोग है कि यह मोहिनी एकादशी त्रिस्पर्शा वंजुला एकादशी के रूप में है । इस तीन स्पर्शा एकादशी के व्रत से राजा अंबरीश दुर्वासा ऋषि के अहंकार को समाप्त किया था । उन्होंने दुर्वासा जी को प्रसाद के लिए आमंत्रित किया लेकिन दुर्वासा उनकी परीक्षा लेना चाहें और वो समय से आए नहीं और श्राप देने के लिए उद्धत हो गए।मंत्रों द्वारा कृत्या नाम की राक्षसी को उत्पन्न किया जो महाराज अंबरीष को मारना चाहती थी किंतु भगवान ने अपने चक्र सुदर्शन के द्वारा उस कृत्या को समाप्त कर दिया। चक्र सुदर्शन ने दुर्वासा का पीछा किया दुर्वासा समस्त लोकों में गए लेकिन किसी ने उनकी रक्षा नहीं किया ।अंत में भगवान नारायण की शरण में गए भगवान नारायण ने कहा आप राजा अंबरीष की शरण में जाइए। दुर्वासा जी अंबरीश की शरण में गए और क्षमा मांगा। राजा अंबरीष परम श्री वैष्णव थे ।उन्होंने अभयदान दिया। चक्र सुदर्शन भगवान नारायण के पास चला गया। मोहिनी एकादशी के दिन ही समुद्र से शुभ अमृत प्रकट हुआ था द्वादशी को भगवान विष्णु उसकी रक्षा किया त्रयोदशी को उन्हीं श्री हरि ने देवताओं को सुधा पान कराया चतुर्दशी को देव विरोधी तत्वों का संघार किया और पूर्णिमा के दिन समस्त देवताओं को उनका साम्राज्य प्राप्त हो गया। इसलिए देवताओं ने संतुष्ट होकर इन तिथियों को वरदान दिया। वैशाख मास की तीन शुभ तिथियां मनुष्यों के पापों में कष्ट का नाश करने वाली तथा उन्हें पुत्र आदि का फल देने वाली है। वैशाख मास के अंतिम 3 दिन जो गीता का पाठ करता है उसे प्रतिदिन अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है ।उक्त तीनों दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करता है उसके  पुण्य फल का वर्णन करने में इस लोक क्या स्वर्ग लोक में कोई नहीं है। पूर्णिमा को सहस्त्रनामो के द्वारा भगवान मधुसूदन को दूध से जो स्नान कराता है। वह मनुष्य पाप हीन होकर बैकुंठ धाम में जाता है। वैशाख मास में प्रतिदिन श्रीमद्भागवत के आधे श्लोक का पाठ करने वाला मनुष्य ब्रह्म भाव को प्राप्त होता है जो वैशाख के अंतिम 3 दिनों में भागवत शास्त्र का श्रवण करता है वह जैसे जल से कमल का पत्ता नहीं लिप्त होता वैसे ही वह कभी पापों से लिप्त नहीं होता। अंतिम 3 दिनों में स्नान करने से मनुष्य को देव तथा ब्रह्म की प्राप्ति होती है। उक्त बातें स्कंद पुराण के वैष्णव खंड के वैशाख मास महात्मय में कई गई हैं ।महराज मिथिला जनक को श्रुतदेव जी ने उपदेश देते हुए कहा हे राजन जो वैसाख धर्म का पालन करता है वह मोक्ष को प्राप्त होता है। कार्यक्रम में मुख्य रूप से कोविड-19 का पालन करते हुए नारायणी रामानुज दासी डॉ अवंतिका पांडे डॉक्टर विवेक पांडे डॉ अंकिता विश्वम प्रकाश पांडे आदि ने पूजन अर्चन किया।

 

 

 

Leave A Reply

Your email address will not be published.