मस्ती में, कौशाम्बी के लोग “ठेंगे” पर है “कोरोना”
फिर बढ़ने शुरू हुए मरीज,नहीं है इसकी दहशत!
सड़कों,बाजारों में भीड़,होटल-रेस्टोरेंटों मे जारी है मस्ती!
नहीं बरती जा रही लोगों द्वारा सावधानियां,सरकारी व्यवस्थाएं भी है नाकाफी!
हमारी मनमानी,उदासीनता,बेपरवाही जारी रही तो एक और लॉकडाउन की ओर बढ़ चले हैं कदम!
जरूरत सरकारी व्यवस्थाओं पर ठीकरा फोड़ने के बजाए अपने उत्तरदायित्वों एवं कर्तव्यों के निर्वाहन की!
कौशाम्बी। कोरोना वायरस को लेकर कौशाम्बी के लोग पूरी तरह मस्ती में नजर आ रहे हैं। पहले भी इस महामारी को लेकर यहां के लोग बिंदास नजर आ रहे थे। जिसका खामियाजा पूर्व में समाज के कुछ लोगों ने बखूबी भोगमान किया था। अब जबकि इस बार पुरानी गति के अनुसार दोगुनी खतरनाक रफ्तार से कोरोना की खेप अपना कहर बरपा रही है फिर भी इसको लेकर कौशाम्बी के लोग अभी भी सचेत नजर नहीं आ रहे। कोरोना संक्रमण की आई दूसरी खेप भले ही चिंता का विषय हो लेकिन यहां के लोग’ बिंदास अंदाज में नजर आ रहे हैं।ना तो कोरोना का खौफ दिखाई पड़ रहा है और ना ही इससे बचने के उपायों का ही पालन किया जा रहा है।शासन-प्रशासन की व्यवस्थाएं भी माशा-अल्ला हैं।धीरे-धीरे बढ़ने शुरू हुए कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ती जा जा रही है।बावजूद इसके हॉट-स्पॉट क्षेत्रों में उदासीनता व बेपरवाही जारी है। शासन ने गाइडलाइन चाहे जो जारी की हो लेकिन उसका पालन यहां नहीं हो रहा है। इसका अंदाजा सड़कों पर निकलने वाली बेतहाशा भीड़,बाजारों में लोगों का हुजूम व होटल-रेस्टोरेंटों तथा सार्वजनिक स्थानों पर मौज मस्ती करते बेखौफ लोगों के चेहरों की मस्ती से लगाया जा सकता है।हमारे चेहरों में कोरोना की सिकन दिखाई नहीं पड़ रही।अगर सावधानियां ना बरतीं गईं तो निश्चित रूप से एक और लाकडाउन की ओर हम धीरे-धीरे बढ़ने शुरू हो गए हैं।
वर्ष 2020 के मार्च का महीना शायद लोगों के जेहन में जरूर होगा। कोरोना की दस्तक हुई तो जिला भी इससे अछूता नहीं रहा और एक के बाद एक मिलते कोरोना मरीजों की मानो यहां बाढ़ सी आ गई।बढे कोरोना मरीजों के चलते देश में पूरी तरह से लॉकडाउन हुआ तो लोगों की जिंदगी ही ठहर सी गई।धीरे-धीरे संक्रमण कम हुआ तो लाकडाउन अनलॉक की ओर बढा लेकिन इस दौरान भी जिले में लोगों की उदासीनता,मनमानी,बेपरवाही खूब देखने को मिली। *अब एक बार फिर कोरोना ने दस्तक दे दी है।संक्रमण को लेकर लोग चर्चा व चिंता जरूर कर रहे हैं लेकिन उसकी भयावहता को लेकर गंभीर नहीं हैं।आखिर यह बेपरवाही व उदासीनता हम किसके लिए कर रहे हैं? गत दिवस कस्बे सहित ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना के मरीज नए मिले हैं।ये तब स्थिति है जब जांच का दायरा अभी कम है।जांच का दायरा ज्यादा बढ़ा तो निश्चित रूप से कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ना तय है। *सवाल यह उठता है कि आखिर हम सरकारी व्यवस्थाओं एवं अफसरों पर ठीकरा कब तक फोड़ते रहेंगे।एकबार फिर समय आ गया है कि हम आत्मचिंतन करें अपनी जिम्मेदारियों को समझें तथा संक्रमण से बचने के स्वयं उपाय करें।दूसरों को भी प्रेरित करें।आखिर यह बेपरवाही, उदासीनता,मनमानी हम किसके लिए कर रहे हैं? जिले के लोगों की मौज-मस्ती का दौर शुरू है।पार्टियां की जा रही हैं।बाजारों में भीड़ देखी जा रही है और बिना किसी कामकाज के ही सड़कों में लोग बस यूं ही नजारा देखने को निकल रहे हैं। जब इतनी उदासीनता हम बरतेंगे तो संक्रमण को किसी भी सूरत में नहीं रोका जा सकता।यही स्थिति व बेपरवाही रही तो देखते ही देखते हालात बेकाबू की ओर चल पडेंगे। आज जरूरत है कि हम बेवजह घरों के बाहर ना निकलें, सामाजिक दूरी का पालन करें,घरों से बाहर निकलने में मुंह को ढक कर रखें,स्वच्छता का ध्यान रखें,स्वयं जागरूक हों,दूसरों को भी प्रेरित करें और अपने व परिवार के साथ-साथ आस-पास के लोगों को भी सुरक्षित करें। जीवन अनमोल है इससे खिलवाड़ हम न सुधरे तो आने वाले समय में निश्चित रूप से भारी पड़ने वाला है।हां एक बात जरूर है कि प्रशासनिक व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने की जरूरत है। *हॉट-स्पॉट क्षेत्रों में निर्धारित मानकों को पूरा नहीं किया जा रहा।कंटेंटमेंट जोनों में लोगों का बेपरवाही से आना-जाना शुरू है।संक्रमितों के आस-पास के लोगों की निगरानी में भी उदासीनता है।स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ साफ-सफाई,संक्रमित के आस-पास के लोगों का परीक्षण,पुलिस की निगरानी,लोगों का उस क्षेत्र में आवागमन एवं सैनिटाइजेशन के कामों में लापरवाही बरती जा रही है। जब ये काम फर्ज अदायगी के लिए होंगे तो यह हालात बेकाबू होना सुनिश्चित हैं।