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भूखे-नंगे रहने की मजबूरी, मास्क कौन देगा

जौनपुर।  कोरोना वायरस जैसी वैश्विक महामारी में जहां लोग जान बचाने के लिए घरों में कैद हैं और बहुत जरूरी होने पर मास्क लगाकर ही निकल रहे हैं, वहीं केराकत तहसील क्षेत्र के कनुवानी गांव में 40 खानाबदोश परिवार के सौ से ज्यादा सदस्य सड़क किनारे खुले आसमान में जिन्दगी गुजार रहे हैं। उन्हें मास्क तक नसीब नहीं है। ऐसे में ग्रामीण सहमे हुए हैं कि यदि इनमें से कोई भी संक्रमित हुआ तो गांव में कोरोना प्रसार हो सकता है। वहीं कुनबे के लोगों में पेट की भूख के आगे कोरोना वायरस का खौफ हवा है। खानाबदोशों में से   लाल बहादुर ने कहा कि कोरोना से तब डरें, जब पेट भरा हो। रोजी-रोटी के चक्कर में बिहार के छपरा जिले से यहां हम सभी आए हैं। हमारा धंधा आयुर्वेदिक दवाओं व जड़ी-बूटियों का है। कोरोना के डर से कोई गांव में घुसने नहीं दे रहा है। ऐसे में धंधा पूरी तरह ठप है। पेट भरना भारी हो गया है। छोटे-छोटे बच्चे भूखे-नंगे रहने को मजबूर हैं। शरीर ढंकने के कपड़े नहीं हैं तो मास्क कहां से लगाया जाए। खाना पका रही मुकेश की पत्नी सरिता ने कहा कि सूखे चावल खाकर भूख से लड़ाई हो रही है। इनके चेहरे पर न तो कोरोना का खौफ दिखा और न ही बचाव को शारीरिक दूरी। सरकारी अफसर आते-जाते देखकर भी अनदेखी करते गुजर जाते हैं। कोई भी इनकी सुधि लेने वाला नहीं है।

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