श्रद्धा के साथ मनाया गया श्री गुरु अर्जन देव जी का शहीदी पर्व
लोकमित्र ब्यूरो
रायबरेली। शहीदों के सरताज श्री गुरु अर्जन देव जी के शहीदी पर्व को बहुत श्रद्धा के साथ गुरुद्वारा गुरुनानक नगर व गुरुद्वारा फिरोज गांधी नगर में मनाया गया। सुबह अमृत बेला से ही कथा कीर्तन प्रवचन ज्ञानी जगरूप सिंह जी,ज्ञानी जनक सिंह जी,हजूरी रागी भाई जसवंत सिंह जी,भाई गुरबीर सिंह जी ने कथा कीर्तन द्वारा संगत को निहाल किया। उपरांत समाज के वरिष्ठ सदस्य स. सुरेंद्र सिंह मोंगा ने गुरुजी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि गुरु जीसिखों के पांचवें गुरु थे, आध्यात्मिक जगत में गुरु जी को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है वह शहीदों के सरताज एवं शांतिकुंज रहे। फिरोज गांधी गुरद्वारे के हजूरी रागी भाई जसवंत सिंह ने अपनी कथा द्वारा प्रकाश डाला कि गुरु ग्रंथ साहिब जी का संपादन गुरु अर्जन देव जी ने भाई गुरदास जी की सहायता से 1604 मे किया था गुरु ग्रंथ साहिब जी में 36 महान वाणीकारों की वाणी, बिना किसी भेदभाव के संकलित हुई है।गुरु अर्जन देव जी ने श्री हरमंदिर साहिब अमृतसर गुरुद्वारे की नींव रखी थी,इस गुरुद्वारे का नक्शा स्वयं गुरु अर्जन देव जी ने ही बनाया था।गुरु ग्रंथ साहिब जी में भक्त कबीर जी,बाबा फरीद जी,संत नामदेव जी,संत रविदास जी जैसे अन्य संत महात्माओं के भी शबद है। ज्ञानी जगरूप सिंह जी ने गुरु जी के जीवन पर कहा कि गुरु अर्जुन देव जी के विरोधी ने मुगल साम्राज्य के बादशाह जहांगीर को गुरुजी के खिलाफ भड़काया, जहांगीर ने गुरु अर्जन देव जी को गिरफ्तार करने के बाद 5 दिनों तक कई तरह की यातनाएं दी गई लेकिन वह शांत रहे, सब कुछ सहा और उन्हें लाहौर में भीषण गर्मी के दौरान गर्म तवे पर बैठाया उनके ऊपर गर्म रेत और तेल डाला गया यातना के कारण जब मूर्छित हो गए तो उनके शरीर को रावी नदी की धारा में बहा दिया गया उनकी याद में रावी नदी के किनारे गुरुद्वारा डेरा साहब का निर्माण कराया गया जो वर्तमान में पाकिस्तान में है। गुरु अर्जन देव जी का पूरा जीवन मानव सेवा को समर्पित रहा वह दया और करुणा के सागर थे वह समाज के हर समुदाय और वर्ग को समान भाव से देखते थे। बताया कि जहांगीर का शहजादा ने अपने पिता के खिलाफ बगावत भी की थी जिसका गुरु अर्जन देव जी ने स्वागत भी किया था और पनाह भी दी थी। उपरांत अरदास के बाद दोनों गुरुद्वारों में लंगर व छबील ( शर्बत) का आयोजन हुआ,जिसमे बहुत श्रद्धा से संगत ने ग्रहण किया। इसमें प्रमुख रूप से त्रिलोचन सिंह,सुरेंद्र सिंह, दलजीत सिंह, जसवंत सिंह,गुरजीत सिंह, बलजीत सिंह, सोना सिंह, गुरदीप सिंह, कमलजीत सिंह गुरभेज सिंह,गुरबख्श सिंह, करनदीप सिंह अंकित सिंह,जसविंदर सिंह,कल्याण सिंह, जसपाल सिंह आदि उपस्थित रहे।