सीमावर्ती राज्यों के बीच हिंसक झड़पें राष्ट्रीय छवि तथा संघीय ढांचे के लिए चिंताजनक- प्रमोद तिवारी
सीडब्लूसी मेंबर ने पेगागस जासूसी काण्ड व किसान आंदोलन को लेकर भी मोदी सरकार की लचर नीति को बताया जिम्मेदार
लालगंज प्रतापगढ़। केन्द्रीय कांग्रेस वर्किग कमेटी के सदस्य एवं यूपी आउटरीच एण्ड कोआर्डिनेशन कमेटी के प्रभारी प्रमोद तिवारी ने असम तथा मिजोरम के सीमावर्ती काचर जिले मे हुई हिंसा मे आधा दर्जन जवानों की मौत तथा सैकडो के घायल होने की अकल्पनीय घटना को देश के संघीय ढांचे की मजबूती के लिए कडी चिंता करार दिया है। वहीं सीडब्लूसी मेंबर प्रमोद तिवारी ने इस गंभीर घटना के लिए केन्द्रीय गृहमंत्री को असफल ठहराते हुए उनके फौरन इस्तीफे की भी कडी मांग की है। श्री तिवारी ने कहा कि भारत गणराज्य राज्यो के संघीय मेल से केन्द्रीय कानून और संविधान से अखण्ड और मजबूत आधार रखा करता है। ऐसे मे केंद्र की मौजूदा मोदी सरकार के द्वारा परोसे गये चौतरफे अविश्वास के माहौल मे मिजोरम तथा असम के बीच हुई गोलीबारी की घटना ने प्रदेशो मे अशांति के उत्पन्न हो रहे हालात राष्ट्रीय सम्प्रभुता के लिए भी बेहद चिंताजनक है। सीडब्लूसी मेंबर प्रमोद तिवारी ने कहा कि इस तरह की दो राज्यो के बीच पनपी हिंसा से देश के संघीय ढांचे की मजबूती पर भी कुठाराघात है। उन्होने केन्द्रीय गृहमंत्री को इन घटनाओ के लिए सीधे विफलता के दायरे मे खडा करते हुए कहा कि यह तब और चिंताजनक हालात उभरे हैं जब स्वयं गृहमंत्री पूर्वोत्तर राज्यो के दौरे पर रहे हो। श्री तिवारी ने कहा कि एक तरफ चीन तथा पाकिस्तान की सीमाएं सुरक्षित नही है तो दूसरी तरफ सीमाओ से जुडे राज्यों के बीच इस प्रकार का छिडा आंतरिक संघर्ष देश की छवि को खराब कर रहा है। प्रमोद तिवारी ने कहा कि जिस तरह से भाजपा ने चुनावी वायदो को पूरा करने मे नाकामी दिखाई है और देश मे जातीय तथा साम्प्रदायिक व धार्मिक एवं झूठ भरे तनाव का माहौल मोदी सरकार बना रही है उसके चलते ही अब राज्यों के सुरक्षाबलों के बीच भी आपसी हिंसा का दुर्भाग्यपूर्ण माहौल बन रहा है। उन्होनें कहा कि भाजपा अपना साम्प्रदायिक और जातीय तथा झूठ बोलने की सियासत पर लगाम लगाये और देश की वाह्य तथा आंतरिक सुरक्षा को हर कीमत पर सुरक्षित रखने के कड़े और ठोस निर्णय की पहल करे। उन्होनें कहा कि सीमा पर अवांछित चहल कदमी की सेटेलाइटस की तस्वीरो से मिल रही सूचनाओं के बावजूद मोदी सरकार दुश्मन पर तो हमला नही कर पा रही है अब उसकी लगातार विफलताओं से संघीय ढांचे की मजबूती पर भी आंच आने लगी है। मीडिया प्रभारी ज्ञानप्रकाश शुक्ल के हवाले से मंगलवार को यहां जारी बयान में कांग्रेस वर्किग कमेटी के सदस्य प्रमोद तिवारी ने हाल ही मे पेगागस जासूसीकाण्ड को भी गंभीर बताते हुए कहा कि फ्रांस सरकार ने तो इसे अपराध मानते हुए जांच बैठा दी है इसके बावजूद भारत सरकार अभी तक पेगागस की जांच के लिए इसलिए गंभीर नही है कि उसने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज, अपनी ही सरकार के मंत्रियो और मीडियाकर्मियों के साथ कार्यपालिका से जुडे महत्वपूर्ण लोगों की जासूसी कराकर अलोकतांत्रिक हथकण्डे से देश के सामने निरूत्तर नजर आ रही है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने देश मे पिछले नौ माह से जारी किसान आंदोलन को भी नजरअंदाज करने के लिए केंद्र की मोदी सरकार को गैरजिम्मेदार ठहराया है। उन्होने कहा कि तीन कृषि काले कानून किसानो के खिलाफ नही बल्कि अस्सी प्रतिशत किसान बाहुल्य देश के हितो के खिलाफ है। उन्होने सरकार से फौरन काले कृषि कानूनो को रदद करने की पुरजोर मांग करते हुए जोर दिया है कि सरकार इन्हे बिना शर्त वापस लेकर किसानो से वार्ता कर देशहित से जुडे नये कानून पर विचार करे।