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बाजारो में बिकने लगी गरीबो की फ्रिज

प्रतापगढ़ (ब्यूरो)। गर्मी का तेवर बढ़ते ही बाजारो में गरीबो के फ्रिज की खरीददारी शुरू हो गई है। इस समय दिनो दिन गर्मी का पारा चढ़ता जा रहा है। मार्च के दूसरे पखवारे से शुरू हुई गर्मी लगातार बढ़ रही है। ऐसे में लोगो को प्यास भी सताने लगी है। साधारण पानी पीने से प्यास न बुझने के कारण लोगो ने गरीबो का फ्रिज यानि सुराही घड़ा आदि खरीदना शुरू कर दिया है। बताते चले कि गर्मी के दिनों में सुराही घड़े आदि की मांग बढ़ जाती है। इसे देखते हुए कारीगरो ने बाजारो व कस्बो में सुराही व घड़े आदि सड़को के किनारे दुकान रखकर बेचना शुरू कर दिया है। इसे बेचने के साथ ही दुकानदार कहते है कि गरीबो का फ्रिज अब बाजारो में आ गया है। इसे खरीदकर लोग अपनी प्यास बुझाने लगे है। वही जनपद में बिजली की लो बोल्टेज की समस्या सुधरने का नाम नहीं ले रही है। जिन लोगो के यहां बिजली का कनेक्शन है उन्होने बाजारो से महंगी फ्रिज खरीद रखी है। वही लो वोल्टेज के कारण फ्रिज काम नहीं कर रहा है। ऐसे में लोग अपनी प्यास बुझाने के लिए मिट्टी के सुराही व घड़े खरीदकर घर में रख रहे है। यह देखकर कारीगरो ने मिट्टी के बर्तनो का दाम भी बढ़ा दिया है। इस बारे मेें कारीगरो का कहना है कि सभी चीजो का दाम बढ़ गया है। लोग हमारे बनाए हुए मिट्टी के बर्तन मिट्टी के भाव ही मांगते है। हमारा पूरा परिवार जाड़ा, गर्मी, बरसात पूरे समय मिट्टी के बर्तनो को बनाता है। इससे होने वाली आय से पूरे परिवार का भरण पोषण मुश्किल से हो पाता है। लोग महंगी से महंगी फ्रिज एक रेट में खरीद लेते है। वही 50 से 100 रूपए में सुराही या घड़ा खरीदने में लम्बा मोल भाव करते है। लोग यह समझते है कि यह मिट्टी ही तो है। उन लोगो को यह नहीं पता है कि इसे बनाने में मिट्टी को साफ सुथरी करने में काफी मेहनत करनी पड़ती है। इसके बाद आकार देकर कण्डो से पकाया जाता है। यह सब करने में जितनी मेहनत लगती है, उस हिसाब से देखा जाए तो हम लोगो की मजदूरी भी नहीं निकलती है। हम लोगो के पास इसके अलावा अन्य कोई धन्धा नही है। पुश्तैनी धंधा होने के कारण हम लोग इस काम को छोड़ भी नहीं रहे है।

 

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