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मृदुल जी प्रतापगढ़ के गौरव थे: –ओम प्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास

प्रतापगढ़ । जनपद प्रतापगढ़ के वरिष्ठ अधिवक्ता वकील परिषद के पूर्व मंत्री एवं कवि कुल के संस्थापक सदस्य साहित्य के क्षेत्र में उन्मत्त जी के शिष्य परम वैष्णव सत्येंद्र नाथ मिश्र मृदुल का कल रात्रि 72 वर्ष की आयु में हृदय गति रुक जाने के कारण परम पद हो गया। आप एक परम वैष्णव थे।   पंचरसाचार्य परम श्री वैष्णव परम पूज्य जगदगुरु स्वामी राम हर्षण महराज जी अयोध्या से समाश्रित होकर आपने जनपद प्रतापगढ़ में वैष्णव भक्तों की एक श्रृंखला खड़ी किया था। हिंदी साहित्य के क्षेत्र में उन्मत्त जी के शिष्य के रूप में आप अपनी रचनाओं के माध्यम से सदा लोगों को प्रभावित करते थे। उन्मत्त जी द्वारा स्थापित कविकुल की स्थापना के समय आप उसके संस्थापक सदस्य बने।  प्रतापगढ़ की गोष्ठियों में आपके द्वारा पढ़ी जाने वाली सरस्वती वंदना के द्वारा ही गोष्ठियों का शुभारंभ होता था। कंपनी बाग तिलक इंटरमीडिएट कॉलेज के अंतर्गत अनेकों बार आपने राष्ट्रीय स्तर के कवियों को बुलाकर के कवि सम्मेलन आयोजित किया था। आपके परम पद की सूचना शहर में आग की तरह फैल गई और हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम रखने वाले लोगों के लिए यह असहनीय सूचना थी। आप प्रतापगढ़ के गौरव थे। प्रातः काल आपके निवास शुकुलपुर में श्रद्धा सुमन अर्पित करने वालों का तांता लग गया। आपके बड़े पुत्र अभिनव शुक्ला ने श्रृंगवेरपुर में मुखाग्नि दिया। आप अपने पीछे धर्मपत्नी श्रीमती राकेश मिश्रा एवं 2 पुत्र अभिनव , अभिज्ञान तथा बेटी पूजा को छोड़कर इस अपार संसार से भगवान के साकेत धाम को पधार गए।  श्रद्धा सुमन अर्पित करने वाले लोगों में मुख्य रूप से हरी प्रताप सिंह पूर्व विधायक शिव प्रकाश मिश्र सेनानी डॉ सौरभ पांडे शिव शंकर सिंह शिवानी मातन हेलिया संतोष तिवारी एडवोकेट निःशुल्क राधे कृष्ण त्रिपाठी एडवोकेट जे पी मिश्रा एडवोकेट रोहित शुक्ला एडवोकेट राममिलन शुक्ला एडवोकेट आचार्य ओम प्रकाश मिश्रा एडवोकेट सतीश चंद शर्मा एडवोकेट राज कुमार मिश्रा एडवोकेट सहित भारी संख्या में लोगों ने अपना श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि मृदुल जी के जाने से जो स्थान रिक्त हुआ है उसकी भरपाई नहीं हो सकती है।
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