हनुमान जयंती के पर्व पर मंदिर में हुआ सुंदरकांड
लोकमित्र ब्यूरो
बहरिया (प्रयागराज)। विकास खंड बहरिया के ग्राम सभा तेजपुर में ग्रामीणों द्वारा हनुमान जी का जन्मोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान ग्रामीणों द्वारा गांव में स्थित हनुमान मंदिर में हनुमान जी के जन्मोत्सव पर सुंदरकांड का पाठ किया गया। इस मौके पर हनुमान मंदिर को भव्य ढंग से सजाया गया था। श्रद्धालुओं ने मत्था टेककर अंजनीपुत्र हनुमान जी से सुख और समृद्धि का आशीर्वाद लिया। मंदिर प्रांगण बजरंगबली, जय सियाराम के जयकारे से गूंजते रहे। गुरुवार को हनुमान जन्मोत्सव के अवसर पर हनुमान जी के मंदिर में दर्शन पूजन के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी।
बता दें कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम जी के परम भक्त हनुमान को कलयुग के देवता और जल्द प्रसन्न होने वाले देवता माना गया है। हनुमान जी को भगवान शिव के 11 वा अवतार माना जाता है। रामभक्त हनुमान जी के जन्म को लेकर दो तरह की धार्मिक मान्यताएं हैं। हिंदू कैलेंडर के अनुसार एक वर्ष में हनुमान जयंती के त्योहार को दो बार मनाएं जाने की परंपरा है, दरअसल भगवान हनुमान का जन्मोत्सव एक बार ही मनाया जाता है जबकि दूसरी बार हनुमान जयंती को विजय दिवस के रूप मे मनाया जाता है। वाल्मीकि रामायण के अनुसार भगवान हनुमान का जन्म कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर और स्वाति नक्षत्र में हुआ था। इस तरह से हनुमान जी की हनुमान जयंती कार्तिक माह की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। वहीं हिंदू पंचांग के अनुसार चौत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को भगवान हनुमान का जन्मोत्सव मनाया जाता है। चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि पर हनुमान जन्मोत्सव मनाने के पीछे का रहस्य हनुमान जी के बाल्य अवस्था में एक कथा से जुड़ा हुआ है। जैसे कि हम सभी जानते हैं हनुमान जी भगवान शिव के 11वें अवतार हैं और इन्हें अष्ट सिद्धियां और नौ निधियां प्राप्त हैं। इस कारण से हनुमान जी की शक्तियां बहुत अधिक मानी गई हैं। एक बार की बात है कि हनुमान जी जब छोटे बालक थे तब उन्हें बहुत जोरों की भूख लगी। तब हनुमान जी ने सूर्य को फल समझकर और अपनी शक्ति के बल पर सूर्य देव को निगल लिया था। हनुमान जी जब सूर्यदेव को निगल रहे तब वहां पर पहले से राहु मौजूद था जो सूर्यदेव को भी अपना ग्रास बनाना चाहता था। हनुमान जी के द्वारा सूर्य को निगलते देख राहु ने ये बात देवराज इंद्र को जाकर बताई। राहु की बात सुनकर इंद्रदेव क्रोधित हो गए और हनुमान जी को दंड देने के लिए उन पर वज्र से प्रहार किया। वज्र के प्रहार से हनुमान को दाढ़ी में चोट लगी और वे बेहोश हो गए। जब ये बात पवनदेव को मालूम चली कि उनके पुत्र पर इंद्र ने वज्र से प्रहार किया वे क्रोधित होकर पूरे ब्रह्रांड के प्राण वायु को रोक दिया। समूची सृष्टि की प्राणवायु रुक जाने से सभी लोगों में हाहाकार मच गया। तब ब्रह्राजी ने पवनदेव का समझाते हुए हनुमान जी को जीवनदान दिया। ऐसी मान्यता है ये दिन चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि थी जिस पर हनुमान जी को नया जीवनदान मिला था, इस कारण से हर वर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को हनुमान जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।