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कृष्ण सुदामा मित्रता की कथा सुन श्रोता हुए भाव विभोर

लोकमित्र ब्यूरो
झूंसी ( प्रयागराज)। कटका चौराहा स्थित भगवती पुरम अंदावां में मुख्य यजमान विश्वम्भर नाथ पांडेय एवं श्रीमती सरस्वती पांडेय के संयोजन में चल रही सप्त दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ कथा के सातवें यानी दिन दिल्ली से पधारे कथा व्यास रस सिद्ध आचार्य दिलीप तिवारी पीयूष जी महाराज ने पंडाल में उपस्थित रस रसिक कथा के श्रोता भक्तों को परमेश्वर श्री कृष्ण एवं मित्र सुदामा की कथा का सजीव वर्णन करते हुए सुदामा चरित्र के सुंदर प्रसंग को सुना कर आनंदित कर दिए। कथा व्यास ने कहा कि सुदामा संसार में सबसे अनोखे भगवान के भक्त थे। वह जीवन में जितने ही गरीब थे, उतने ही वह अंतरमन से धनवान थे। कथा व्यास ने कहा हर मनुष्य को चाहिए कि अपने सुख व दुखों को भगवान की इच्छा पर सौंप दिया जाए। श्रीकृष्ण और सुदामा के मिलन का प्रसंग सुनकर श्रद्धालु श्रोता भक्त भावविभोर हो उठे। उन्होंने कहा कि जब सुदामा भगवान श्रीकृष्ण ने मिलने आए तो भगवान श्याम सुंदर ने मित्र सुदामा के फटे कपड़े नहीं देखे, बल्कि मित्र की भावनाओं को देखा। मनुष्य को अपना कर्म नहीं भूलना चाहिए। अगर सच्चा मित्र है तो श्रीकृष्ण और सुदामा की तरह होना चाहिए। जीवन में मनुष्य को कथा से सीख लेते हुए श्रीकृष्ण की तरह अपनी मित्रता निभानी चाहिए। कथा व्यास द्वारा सुन्दर सा भजन, व्यर्थ गंवाती हो क्यों जीवन मुख्य मंदिर में पड़ी पड़ी, हरि बोल मेरी रसना घड़ी घड़ी हरि बोल मेरी रसना घड़ी घड़ी। सुनकर पूरा कथा पंडाल कृष्ण मय हो गया। कथा व्यास ने कहा भगवत कथा से ही इस जीवन की तमाम तरह की व्यथा दूर होती है और कथा श्रवण से ही इस जीवन में मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। कथा विश्राम पर मुख्य यजमान द्वारा विधि विधान से वैदिक मंत्रों द्वारा व्यासपीठ की पूजा कराई गई। तत्पश्चात मुख्य यजमान सहित आयोजक संजय पांडेय एवं राहुल पांडेय परिवार समेत व्यासपीठ, भागवत भगवान एवं आवाहित देवी देवताओं की आरती उतारी गई। कथा के उपरांत उपस्थित सभी श्रद्धालु भक्त श्रोताओं में प्रसाद का वितरण कराया गया। इस अवसर पर उमा शंकर पांडेय, प्रभु नाथ पांडेय, मनोज पांडेय, नीरज पांडेय, देवांश पांडेय, कृतज्ञ पांडेय एवं बालकृष्ण शुक्ला, ओम प्रकाश शुक्ला, अनुराग शुक्ला, बबलू केसरवानी, अवनीश शुक्ला, बच्चू मिश्रा सहित भारी संख्या में भक्त श्रोता नर नारी बाल वृद्ध उपस्थित होकर कथा का रसपान किया।

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