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दो साल बाद निकाला गया इमाम रज़ा की शहादत पर ताबूत ज़ुलजनाह व अलम का जुलूस

प्रयागराज। रानीमण्डी धरमशाला के सामने इमामबाड़ा साजिद अली से बुज़ुर्ग मर्सियाख्वान ज़ायर हुसैन द्वारा क़ायम 79 साल पुरान शहादत इमाम रज़ा का जुलूस अक़ीदत व ऐहतेराम के साथ निकाला गया। दो वर्ष की कोरोना बन्दिशों के बाद इस वर्ष बारिश व बूंदा बांदी के बावजूद सैकड़ो लोग जुलूस मे ताबूत ज़ुलजनाह व अलम की ज़ियारत को मौजूद रहे।  ज़ैग़म अब्बास ने मर्सियाख्वानी की तो खतीबे अहलेबैत मौलाना रज़ा अब्बास ज़ैदी ने इमाम रज़ा की शहादत का मार्मिक वर्णन किया। गुलाब व चमेली के फूलों से सजा ताबूत इमाम रज़ा ज़ुलजनाह व अलम की ज़ियारत कराई गई। अन्जुमन ग़ुन्चा ए क़ासिमया के नौहाख्वानों शादाब ज़मन शारु, अस्करी अब्बास, यासिर ज़ैदी, ज़ीशान हैदर भदौरवी आदि ने शायर तालिब इलाहाबादी का नौहा सर पीटो अज़ादारो यह मौक़ा है बुका का उठने को जनाज़ा है ग़रीबुल ग़ुरबा का …पढ़ा तो हर आँखे अश्कों से छलक पड़ीं। जुलूस नौहा और मातम की सदाओं के बीच रानीमण्डी तिराहे तक जाकर वापिस कोफ्तग्रन टोला इमामबाड़ा मक़सद अली पर पहुंच कर सम्पन्न हुआ। जुलूस में ज़ायर हुसैन, हाजी मंज़र कर्रार, ऐजाज़ हुसैन, क़ाज़िम अब्बास, अहमद जावेद कज्जन, सैय्यद मोहम्मद अस्करी, ज़रग़ाम हैदर, बाक़िर अब्बास, गौहर काज़मी, मिर्ज़ा काज़िम अली, फैज़ रज़ा आदि शामिल रहे।
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