धर्म की रक्षा के लिए प्रभु लेते हैं अवतार
दिलीपपुर(नि.सं.)। कंस के यज्ञ में पहुंच कर उनके सैनिकों को पराजित कर मथुरा निवासियों में अपनी शक्ति का एहसास कराया तब मथुरा वासियों को लगा कि अत्याचारी कंस का साम्राज् डुबोने वाला आ गया है कृष्ण बलराम की जय जय कार मथुरा वासियों ने शुरू कर दी मथुरा के लोग कंस के भय से मुक्त हो गए तभी कृष्ण ने मथुरा वासियों को कंस से मुक्ति दिलाने व उनका मान रखने के लिए कंस वध कर दिया वध करने के बाद कृष्ण और बलराम ने अपनी माता देवकी और पिता वसुदेव को कंस के कारागार से मुक्त कराये तब दोनों पुत्रों को देखकर वसुदेव देवकी के मन में वात्सल्य का भाव नहीं उमडा इस पर कृष्ण बलराम को आश्चर्य हुआ उस समय कृष्ण की आयु 11 वर्ष की थी कृष्ण ने माता-पिता के हृदय में वात्सल्य भाव न पाकर पूछ पडे इस पर बासुदेव ने कहा हम सब आपको प्रभु रुप में निहार रहे थे जिससे वात्सल्य भाव नहीं उमडा यह सुनकर कृष्ण बलराम के मन में ग्लानि हुई कि इस स्थिति में तो हम दोनों भाई माता पिता की सेवा करने से वाचित रह जाएंगे ऐसा मान में विचार कर आगम वचन बोले कहा जो पुत्र अपनी कमाई के धन से अपनी सारी शक्ति से अपने बूढ़े माता-पिता की सेवा नहीं करते हैं वे पुत्र जब मृत्यु को प्राप्त होते हैं और संयमनपुरी की यात्रा करते हैं तब यात्रा मार्ग में भूख की बात करने पर यमदूत उन्हें उन्ही का मांस नोचकर खाने के लिए देते हैं उक्त कथा भागवत सप्ताह के सातवें दिन शुक्रवार को विकासखंड बाबा बेलखरनाथ धाम के दिलीपपुर में वारी कला मदाफरपुर से पधारें कथा व्यास पं0 गर्ग जी महाराज ने कही। कथा को आगे बढ़ाते हुए ब्यास जी ने बताया कि आगम वचन कहकर कृष्ण और बलराम माता-पिता के चरणों में गिर पडे जिस पर बासुदेव और देवकी की आंखों से आशू की धार बह निकली इससे पिता वासुदेव और माता देवकी के हृदय में वात्सल्य भाव पैदा हो गया। मुख्य यजमान इंद्रमणि पांडेय अनिल पांडेय रामचन्द्र पांडेय, रुद्र शंकर मिश्र, शेष नारायण त्रिपाठी राजेंद्र प्रसाद त्रिपाठी अधिवक्ता गया प्रसाद पांडे अधिवक्ता चंद्रमणि पांडेय राकेश तिवारी पत्रकार अमरपाल सिंह कौशलेंद्र प्रताप सिंह सुरेश मणि त्रिपाठी ओम नारायण पाण्डेय, सुनील पांडेय, रितिक पाण्डेय समेत सैकड़ों भक्तगण मौजूद रहे।