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बासंतिक नवरात्र का चैथा दिन देवी के कुष्माण्डा स्वरूप की हुई पूजा आराधना

प्रतापगढ़ (ब्यूरो)। वासंतिक नवरात्र के चैथे दिन शुक्रवार को देवी मां के कुष्माण्डा स्वरूप की पूजा आराधना श्रद्धालुओ द्वारा विधि विधान के साथ की गई। श्रद्धालुओ ने घरो में जहां पूजा अर्चना की। वही मंदिरो में पहुंचकर कोविड नियमो का पालन करते हुए मां के कुष्माण्डा स्वरूप का दर्शन पूजन किया। साथ ही फूल माला, प्रसाद आदि चढ़ाकर कोरोना के संकट से निजात दिलाने की प्रार्थना की। नवरात्र के चैथे दिन जिले के सभी देवी मंदिरों में मां भगवती की चैथी शक्ति कुष्माण्डा देवी के रूप में भव्य रूप से सजाया गया। अष्ट दुर्गा के नाम से जानी जाने वाली देवी के मांगलिक स्वरूप के दर्शन पूजन के लिए लोग उत्साहित दिखाई पड़े। नगर के प्रसिद्ध बेल्हा देवी मंदिर में श्रद्धालु कोविड नियमो का पालन करते हुए पहुंचे तथा अपनी बारी का इंतजार करते रहे। घण्टे घड़ियाल की आवाज से मंदिर परिसर देवीमय बना हुआ था। भक्तो ने देवी को चुनरी व प्रसाद चढ़ाया। साथ ही नारियल फोड़कर मन्नते मांगीं इसी तरह नगर में बलीपुर स्थित दुर्गामंदिर, अष्टभुजा नगर की विंध्यवासिनी शक्ति पीठ सेनानी नगर की सर्वेश्वरी देवी, दहिलामऊ के चन्द्रिका मंदिर मंे भी दर्शन के लिए भक्त पहुंचे। घरो में भी पूजा अर्चना की। इसी तरह रानीगंज तहसील क्षेत्र स्थित मां बाराही देवी, सण्डवा चन्द्रिका स्थित चन्द्रिकन देवी, मानिकपुर की ज्वाला देवी मंदिरो में भी भक्त पूजन अर्चन के लिए पहुंचते रहे। इसके अलावा नौ दिनों तक व्रत रखने वाले भक्तो ने अपने घरो में कलश पूजन करके दुर्गासप्तशती का पाठ भी किया। उधर कुण्डा से लगभग दस किमी. दूर बिसहिया स्थित मां फूलमती का मंदिर भी लोगो की आस्था का केन्द्र बना हुआ है। देवी पुराण के अनुसार जब राजा कंस के हाथो से छूटकर योगमाया आकाशमार्ग से चली थी। मानिकपुर और कड़ा के बाद उनका चरण यहां की धरती पर पड़ा था। तभी से यह मां फूलमती देवी के रूप में विख्यात हुई। मान्यता है कि कुष्माण्डा माता हाथा में कमण्डल, माला, त्रिशूल, खड्ग, तलवार धारण करने वाली है। यह माता भक्तो के सभी कष्टो को हर लेती है। मां के आशीर्वाद से भक्तो का कल्याण होता है। मां सारे संसार के लोगो को जान दने के साथ ही दुखो को हरती है। इसलिए हर भक्त मां की पूजा अर्चना करके आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रयास नवरात्र में विशेष रूप से करता है।

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