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सरकार द्वारा सरदार भगत सिंह को शहीद का दर्जा न मिलने के बावजूद हर भारतीय के मन मंदिर में बसे है : डा०विनोद त्रिपाठी
दैनिक लोकमित्र ई पेपर - 28.09.2023
सपा प्रदेश सचिव रवीन्द्र यादव का जोरदार स्वागत
हर्रो टोल पर बसूली को लेकर राहगीरों से दुर्व्यवहार
एसटीएफ व हथिगवा पुलिस की संयुक्त टीम ने पकड़ी गैर प्रांत की 410 पेटी शराब
करंट की चपेट में आने से एक मजदूर की मौत, तीन घायल
उत्कृष्ट कार्य हेतु मनीषा सिंह को सम्मानित किया गया ।
शालिनी अग्रहरी को मिला कांस्य मेडल
लोकगीतों से सजा हिंदी पखवाड़ा
सरकार की मंशा है कि किसानों को सहकारिता से जोड़ा जाए --जीत लाल पटेल
प्रतापगढ़। सिधारी पट्टी बारघाट प्रतापगढ़ के ग्राम सिधारी कान्हा ट्रेडर्स प्रतिष्ठान में आयोजित श्रीमद् भागवत महापुराण सप्ताह कथा ज्ञान यज्ञ में व्यासपीठ पर विराजमान आचार्य उमापति दास मिश्र महंत श्री राम जानकी मंदिर बाबा घुश्मेश्वर नाथ धाम से आए महाराज ने द्वितीय दिवस की कथा में पितामह भीष्म के प्रसंग की व्याख्या करते हुए बताया कि यदि जीवन में शांति और आराम चाहिए तो भजन करना चाहिए। क्योंकि भगवान के नाम स्मरण से ही मन को शांति मिलती है। महाराज ने कहा कि पितामह भीष्म बाणों की शैया में छः महीने तक लेटे रहे और अंत में भगवान के भजन को करके मुक्ति को भी प्राप्त किए। आज के परिवेश से विचार किया जाए तो आज जो बालक अपने बूढ़े बाप को अनाथ आश्रम भेज देता है। उस पिता को भी जब तक वह जीता है उसे बाणों की शैया जैसा ही कष्ट मिलता है। माता-पिता की सेवा से समस्त देवता भी प्रसन्न होते हैं।पं. हरिश्चंद्र शुक्ल ने बताया कि कथा में मुख्य यजमान शकुंतला देवी पत्नी घनश्याम त्रिपाठी व प्रेमा देवी पत्नी स्व. राधेश्याम त्रिपाठी हैं। कथा श्रवण में सुनील त्रिपाठी, आशुतोष त्रिपाठी, शैलेश त्रिपाठी, विवेक, विष्णु, काजल, गार्गी, श्रेया, गुनगुन, माही, आस्था, अंशवर्धन, हर्षवर्धन एवं समस्त त्रिपाठी परिवार ने शामिल होकर धर्मलाभ उठाया। कथा व्यास के सहयोग में आचार्य परमेन्द्र शुक्ला, आचार्य पंकज मिश्र, आचार्य श्रीकांत पांडेय व पंडित उपेन्द्र मिश्र रहे।
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